बोरे में भरी पत्नी की लाश…. झगड़ों से तंग आकर पति ने किया मर्डर, पहुंचा सलाखों के पीछे
इनकी मदद से पुलिसकर्मियों, उच्च शिक्षण संस्थानों के शिक्षकों और छात्रों, एनएसएस-एनसीसी स्वयंसेवकों, अस्पताल स्टॉफ, गाड्र्स आदि को ह्दयघात की स्थिति में सीपीआर प्रदान करने का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। परियोजना की समन्वयक एम्स रायपुर के फिजियोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्राध्यापक डॉ. जयश्री घाटे ने बताया कि ह्दयघात की स्थिति में प्रारंभिक समय स्वर्णिम होता है। यदि इस समय रोगी को सीपीआर प्रदान कर दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। देश में 98 प्रतिशत हृद्यघात के प्रकरण में समय पर सीपीआर प्रदान न करने से रोगी की मृत्यु होती है।
CG Election result 2023 : छत्तीसगढ़ के 90 सीटों से 1 लाख 3 हजार 463 डाक के सहारे की वोटिंग, 3 को होगी काउंटिंग
इस संदर्भ में जागरूकता और प्रशिक्षण देने के लिए एम्स रायपुर ने यह परियोजना प्रारंभ की है। एमओयू के बाद से अब तक राज्य पुलिस, पैरामिलिट्री के जवानों, एम्स के सिक्योरटी गाड्र्स, एनसीसी-एनएसएस के छात्र, एम्स में रोगियों के परिजनों और अन्य स्टॉफ सहित लगभग 3500 लोगों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है। इसके लिए अधिष्ठाता (शैक्षणिक) प्रो. आलोक चंद्र अग्रवाल के निर्देशन में 26 सदस्यीय समिति गठित की गई है। प्रशिक्षण पाने वालों को डिजिटल प्रमाणपत्र भी प्रदान किया जा रहा है।