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Monkeypox Virus: मंकी पॉक्स को लेकर छत्तीसगढ़ में अलर्ट, एडवाइजरी जारी, गांव-गांव में लगेंगे कैंप

Monkypox virus in cg: मंकी पॉक्स (एम पॉक्स) को विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 14 अगस्त को पब्लिक हेल्थ एमरजेन्सी ऑफ इंटरनेशनल कान्स (पीएचईआईसी) को घोषित किया गया है..

रायपुरAug 29, 2024 / 04:22 pm

चंदू निर्मलकर

Monkypox virus in cg,
Monkeypox Virus: मंकी-पॉक्स को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार अलर्ट मोड पर आ गई हैै। संभावित खतरे को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बचाव व रोकथाम के लिए एडवायजरी जारी ( Monkeypox Virus) करने के निर्देश दिए हैं। वहीं प्रदेश के सभी अस्पतालों में नियमों को सख्ती से पालन करने व गांव गांव में कैंप लगाने को कहा है।
Monkeypox Virus: गौरतलब है कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा 20 अगस्त 2024 को मंकी पॉक्स (एमपॉक्स) नामक बीमारी के बचाव व रोकथाम के लिए एडवायजरी जारी की गई है। मंकी पॉक्स (एम पॉक्स) को विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा 14 अगस्त को पब्लिक हेल्थ एमरजेन्सी ऑफ इंटरनेशनल कान्स (पीएचईआईसी) को घोषित किया गया है। वहीं कई देशों में संक्रमण के प्रसार को दृष्टिगत रखते हुए भारत सरकार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्वेलेंस, जांच एवमं उपचार हेतु विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं, जिसके अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य में भी मंकी-पॉक्स प्रकरणों की सर्वेलेंस, त्वरित पहचान, जांच एवं उपचार हेतु दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
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Monkeypox Virus: मंकी-पॉक्स क्या है

मंकी-पॉक्स एक जीनेटिक बीमारी है जो मुख्य रुप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका के क्षेत्रों में होता है, परन्तु वर्तमान परिदृश्य में कुछ अन्य देशों में प्रकरण प्राप्त हो रहे हैं तथा भारत के केरल राज्य में मार्च 2024 में प्रकरण प्राप्त हुए हैं।
मंकी-पॉक्स ( Monkeypox Virus) से संक्रमित व्यक्ति में सामान्यतः बुखार, चकत्ते एवं लिम्फ नोड्स में सूजन पायी जाती है। मंकी-पॉक्स एक स्व-सीमित (सेल्फ-लिमिटेड) संक्रमण है, जिसके लक्षण सामान्यतः 2-4 सप्ताह में समाप्त हो जाते हैं। मंकी-पॉक्स संक्रमण के गंभीर प्रकरण सामान्यतः बच्चों में पाए जाते हैं। जटिलताओं एवं गंभीर प्रकरणों में मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत है। मंकी-पॉक्स संक्रमण होने एवं लक्षण उत्पन्न होने का इनक्यूबेशन पीरियड सामान्यतः 6-13 दिन का होता है, परन्तु यह 5 से 25 दिवस तक हो सकता है। मंकी-पॉक्स का संक्रमण त्वचा में चकत्ते आने के 1-2 दिवस पूर्व से लेकर सभी चकत्तों से पपड़ी के गिरने/समाप्त होने तक मरीज के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों में फैल सकता है।

ऐसे फैलता है वायरस

मंकी-पॉक्स वायरस का संक्रमण पशु से मनुष्य में एवं मनुष्य से मनुष्य में फैल सकता है। मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण मुख्य रूप से लार्ज रेस्पिरेटरी सिस्टम के माध्यम से लम्बे समय तक संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में रहने से होता है। वायरस का संक्रमण शरीर के तरल पदार्थ घाव के सीधे संपर्क में आने से अथवा अप्रत्यक्ष संपर्क जैसे दूषित कपड़ों, लिनेन इत्यादि के उपयोग से फैल सकता है। पशुओं से मनुष्यों में संक्रमण का प्रसार गांव के सीधे संपर्क में आने से हो सकता है।

Monkeypox Virus in CG: बचाव के दिए निर्देश

मंकी पॉक्स संभावित प्रकरणों के सर्वेलेंस हेतु दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके अनुसार मंकी पॉक्स के संभावित प्रकरणों का सर्विलांस कर त्वरित पहचान जांच एवं उपचार किए जाने हेतु प्रकरण को आइसोलेट कर संक्रमण का प्रसार रोका जाना, मरीज को उपचार दिया जाना, मरीज के संपर्क व्यक्तियों की पहचान किया जाना, स्वास्थ्य कार्यकर्ता को संक्रमण से बचाव हेतु आगाह किया जाना एवं संक्रमण के नियंत्रण और प्रसार को रोकने हेतु प्रभावी कदम उठाया जाना आवश्यक है।
मंकी-पॉक्स सर्वेलेंस हेतु इस दिशा-निर्देश में दिए मानक-परिभाषाओं का उपयोग किया जाना, प्रत्येक संभावित प्रकरण की सूचना जिला सर्वेलेंस इकाई/राज्य सर्वेलेंस इकाई में अनिवार्य रूप से दिया जाना आवश्यक होगा। इसके एक भी पुष्टिकृत प्रकरण को माना जाए एवं जिला स्तरीय रैपिड रिस्पॉन्स टीम द्वारा तत्काल विस्तृत आउटब्रेक इनवेस्टिगेशन कर प्रतिवेदन राज्य कार्यालय को प्रेषित किया जाएगा। मंकी-पॉक्स के संभावित प्रकरणों की जांच हेतु निर्धारित प्रक्रिया अनुसार सैंपल संग्रहण कर जांच हेतु चिन्हांकित लेबोरेटरी में भेजा जाएगा।
मंकी-पॉक्स के प्रत्येक पॉजिटिव मरीज के सभी संपर्क व्यक्ति की पहचान करने हेतु सभी जिलों में जिला सर्वेलेंस अधिकारी के अधीन कांटेक्ट ट्रेसिंग दल का गठन किया जाएगा। संपर्क व्यक्ति को मंकी-पॉक्स ( Monkeypox Virus in cg) मरीज के संपर्क में आने के 21 दिवस तक बुखार या त्वचा में चकत्ते हेतु दैनिक मॉनिटरिंग किया जाएगा।
संपर्क व्यक्तियों को 21 दिवस तक ब्लड, ऑर्गन, टिसू, सीमन इत्यादि डोनेशन करने से रोका जाए एवं ऐसे चिकित्सा कर्मी जो बिना प्रतिरक्षा उपकरण के मंकी-पॉक्स मरीज या उसके द्वारा उपयोग किये हुए वस्तुओं के संपर्क में आया हो उसे 21 दिन तक मॉनिटर किया जाए व लक्षण-रहित चिकित्सा कर्मी को चिकित्सा कार्य से ना रोका जाये, ऐसे निर्देश दिए गए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बीमारी को सज्ञान में लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिले के सभी विकासखण्डों एवं विशेष रूप से ग्राम पंचायतों में शिविर लगाकर नागरिकों को एम-पॉक्स बीमारी, इसके संक्रमण व बचाव हेतु उपायों के प्रति जागरूक करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी एडवायसरी में दिए गए सभी आवश्यक दिशा-निर्देशों का गंभीरतापूर्वक पालन सुनिश्चित करने कहा है।

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