scriptCG Education: दो साल में 5 छात्रों ने दिया इस्तीफा, ज्यादा काम का हवाला देते हुए छोड़ दी पीजी सीट | 5 students resigned in two years, left PG seat citing too much work | Patrika News
रायपुर

CG Education: दो साल में 5 छात्रों ने दिया इस्तीफा, ज्यादा काम का हवाला देते हुए छोड़ दी पीजी सीट

CG Education:पिछले दो साल में 5 छात्रों ने पीजी की पढ़ाई छोड़ी है। इनमें 4 छात्रों ने पेनाल्टी के रूप में एक करोड़ रुपए जमा किया है। दरअसल, बीच सत्र में पढ़ाई छोड़ने पर अनारक्षित केटेगरी के छात्रों के लिए 25 लाख पेनाल्टी पटाने का नियम है।

रायपुरNov 09, 2024 / 10:59 am

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CG Education: पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में पीजी की 150 सीटें हैं। इनमें भी नॉन क्लीनिकल की सीटें नहीं भर पातीं। जिन मेरिटोरियस छात्रों को एमडी-एमएस की सीट मिल रही है, वे भी बीच सत्र में पढ़ाई छोड़ रहे हैं। पिछले दो साल में 5 छात्रों ने पीजी की पढ़ाई छोड़ी है। इनमें 4 छात्रों ने पेनाल्टी के रूप में एक करोड़ रुपए जमा किया है। दरअसल, बीच सत्र में पढ़ाई छोड़ने पर अनारक्षित केटेगरी के छात्रों के लिए 25 लाख पेनाल्टी पटाने का नियम है। एक छात्रा ने जुर्माना जमा नहीं किया है।
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छात्रों ने निजी कारणों या काम की अधिकता का हवाला देते हुए पीजी जैसे महत्वपूर्ण सीट छोड़ी है। उनके सीट छोड़ने से पेनाल्टी की राशि कॉलेज को तो मिल जाती है, लेकिन ये सीटें खाली रह जाती हैं। इसका नुकसान उन छात्राें को होता है, जो मेरिटोरियस होते हुए भी कुछ अंकों से एडमिशन में पिछड़ जाते हैं। वैसे भी पीजी की एक-एक सीट के लिए मारामारी रहती है। निजी मेडिकल कॉलेजाें में ऑन रिकार्ड तीन साल के कोर्स की ट्यूशन फीस 30 लाख रुपए है, लेकिन अन्य मद मिलाकर इससे दोगुनी फीस जमा करनी पड़ती है।
दूसरे राज्यों में एक-एक सीट की फीस करोड़ों में है। ऐसे में छात्रों के सीटें छोड़ने का नुकसान न केवल अन्य छात्रों, बल्कि विभाग को भी होता है। विभाग में कम जूनियर डॉक्टर होने से इलाज भी प्रभावित होता है। पीडियाट्रिक, रेडियोथैरेपी यानी कैंसर तथा ऑप्थेलमोलॉजी डिमांडिंग विषय है। इसके बाद भी इन विभागाें की सीट खाली रहना बड़ा नुकसान है।

कितने छात्रों ने सीट छोड़ी, डीएमई ने मांगी जानकारी

डीएमई कार्यालय ने सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों को पत्र लिखकर पीजी सीट छोड़ने वाले छात्रों की जानकारी मांगी है। प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेजों में पीजी कोर्स चल रहा है। सभी ने जानकारी भेज दी है। अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज में सीटें छोड़ने की जानकारी मिली है। बाकी कॉलेजाें दो से तीन साल पहले ही पीजी कोर्स शुरू हुआ है। इस कारण भी वहां सीट छोड़ने वाले छात्रों की संख्या कम है। जानकारों के अनुसार ब्रेकेज बांड नहीं होने से सीट छोड़ने वाले छात्राें की संख्या बढ़ सकती है। इसलिए ये बांड जरूरी है।

ब्रेकेज बांड में कंफ्यूजन, इसलिए मंगाई जानकारी

पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि 2021 में ब्रेकेज बांड वाले फार्म को लेकर कंफ्यूजन हो गया था। इस कारण कुछ छात्रों ने यह सोचकर सीट छोड़ दी कि उन्हें 25 लाख पेनाल्टी नहीं पटानी होगी। इसे लेकर 2023 बैच की सुनंदा अग्रवाल हाईकोर्ट भी गई थी, लेकिन कोर्ट ने कहा कि पेनाल्टी राशि जमा करिए और ओरिजनल दस्तावेज कॉलेज से ले जाइए। डीएमई कार्यालय के अधिकारी ब्रेकेज बांड नहीं होने को टंकण त्रुटि बता रहे है, जबकि ऐसा संभव नहीं है। सुनंदा ने कोर्ट को बताया था कि 2023 बैच में ब्रेकेज बांड वाला नियम नहीं था।
डीएमई डॉ. यूएस पैकरा ने कहा ब्रेकेज बांड का पालन न करने पर सीट छोड़ने वाले छात्रों के लिए 20 से 25 लाख रुपए पेनाल्टी का नियम है। कॉलेजों से जानकारी मंगाई थी, जो आ गई है। ब्रेकेज बांड को लेकर टंकण त्रुटि जैसी कोई बात नहीं है।
केस- एक

2023 बैच की डॉ. सुनंदा अग्रवाल ने पिछले साल ही पीडियाट्रिक जैसी सीट छोड़ दी। पत्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़ने का कारण ड्यूटी की अधिकता व निजी कारणों को बताया था। 25 लाख पेनाल्टी जमा कर दी है।
केस- दो

2023 बैच के ही डॉ. जादूम सिंह पुटेल ने रेडियोथैरेपी विभाग से इस्तीफा दे दिया। इसी बैच की डॉ. फाल्गुनी सिंह ने भी बीच सत्र में ही पढ़ाई छोड़ दी। छात्र व छात्रा ने 25-25 लाख पेनाल्टी जमा कर दी है।
केस- तीन

2021 बैच के डॉ. भरत पटेल ने ऑप्थेलमोलॉजी विभाग ने इस्तीफा दे दिया। जबकि उन्होंने विभाग में एक साल से ज्यादा पढ़ाई की। पेनाल्टी के पैसे उन्होंने कॉलेज में जमा कर दिए हैं।
केस- चार

2021 बैच की ही पीएसएम की छात्रा सुशीला देवी बीच सत्र में पढ़ाई छोड़कर चली गई। कॉलेज के तीन नोटिस भेजने के बाद भी उन्हाेंने पेनाल्टी की राशि जमा नहीं की है। और नोटिस देंगे।

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