हड़ताल के चलते प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी डॉ. आंबेडकर अस्पताल में मरीज और परिजन इलाज के लिए भटकते नजर आए। बता दें कि जूनियर डॉक्टरों ने एक हफ्ते पहले ही बेमुद्दत हड़ताल पर जाने का ऐलान कर दिया था। मंगलवार को केवल ओपीडी में काम (CG Hindi News) ठप कर चेतावनी दी कि अब इमरजेंसी सेवाएं भी बाधित होंगी। सरकार ने मांगें नहीं मानी। इसके चलते बुधवार से इमरजेंसी सेवाएं भी ठप कर दी गई हैं। जूनियर डॉक्टर अस्पताल के अंदर अब एक भी मरीज नहीं देख रहे हैं। रायपुर के अलावा सरगुजा, कांकेर, जगदलपुर, रायगढ़ और राजनांदगांव के सरकारी (Strike News) मेडिकल कॉलेज में भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को परेशानी हो रही है।
छत्तीसगढ़ में सबसे कम स्टायपेंड Junior doctors on indefinite strike: जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. मनु प्रताप सिंह ने बताया, आसपास के राज्य जैसे मध्यप्रदेश, झारखंड से भी कम स्टायपेंड छत्तीसगढ़ के जूनियर डॉक्टरों को मिलता है। दूसरे प्रदेशों में जहां 90 हजार रुपए तक का फंड है। छत्तीसगढ़ में 50-55 हजार रुपए ही मिलते हैं। किसी भी प्रदेश में 4 साल के बॉन्ड नहीं भरवाए जाते। केवल छत्तीसगढ़ में ऐसा हो रहा है। बीते 4 सालों में स्टायपेंड नहीं बढ़ाया गया। इससे मजबूरन हड़ताल का कदम उठाना पड़ा।
चरमराया सिस्टम जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के डॉ. प्रीतम ने बताया कि मंगलवार को केवल ओपीडी ठप की गई थी। अब रूटीन, ओपीडी के साथ इमरजेंसी सर्विस में सेवाएं देनी भी बंद कर दी है। सभी सरकारी कॉलेज के 3 हजार पीजी, इंटर्न, बांड भरे हुए डॉक्टरों ने काम बंद कर दिया है। मांगें (CG Strik News) अब जब तक पूरी नहीं हो जातीं, हम एक भी मरीज की जांच या इलाज नहीं करेंगे।