scriptपैसों की ऐसे होती बर्बादी.. जल जीवन मिशन के तहत 240 करोड़ तो साइन बोर्ड के लिए फूंक डाले 9.55 करोड़ रुपए | 240 under Jal Jeevan Mission and 9.55 crores burnt for sign board | Patrika News
रायपुर

पैसों की ऐसे होती बर्बादी.. जल जीवन मिशन के तहत 240 करोड़ तो साइन बोर्ड के लिए फूंक डाले 9.55 करोड़ रुपए

Chhattisgarh hindi news : कोरिया जिले में जहां जल संसाधन विभाग ने सिर्फ ग्लोसाइन बोर्ड लगाने के नाम साढ़े नौ करोड़ से ज्यादा रुपए फूंक डाले तो दूसरी ओर दुर्ग में पीएचई ने डीएमएफ के रुपयों से पानी की टंकियों की पुताई कर दी..

रायपुरDec 05, 2022 / 02:00 pm

Karunakant Chaubey

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पैसों की ऐसे होती बर्बादी

सरकारी रुपयों की बर्बादी (Chhattisgarh hindi news) कैसे की जाती है, इसकी बानगी देखिए। कोरिया जिले में जहां जल संसाधन विभाग ने सिर्फ ग्लोसाइन बोर्ड लगाने के नाम साढ़े नौ करोड़ से ज्यादा रुपए फूंक डाले तो दूसरी ओर दुर्ग में पीएचई ने डीएमएफ के रुपयों से पानी की टंकियों की पुताई कर दी।
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कोरिया में साइन बोर्ड के नाम पर फूंक डाले 9.55 करोड़

बैकुंठपुर में जल संसाधन विभाग ने पिछले एक दशक में कोरिया-एमसीबी जिले में निर्मित जलाशय-बांध के पास करीब 100 ग्लो साइन बोर्ड लगवाने में 9.55 करोड़ फूंक डाले हैं। बोर्ड लगाने का कार्य कोटेशन से हुआ है।
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इतनी बड़ी राशि मनरेगा मद से 100 तालाब निर्माण कराने में खर्च नहीं होती है। जल संसाधन विभाग द्वारा कोरिया-एमसीबी (मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर) में रबी और खरीफ फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने छोटे-बड़े 96 जलाशय-डायवर्सन बनाए गए हैं। जिसमें 2 मध्यम परियोजना, 94 लघु सिंचाई परियोजना शामिल है। 717 किलोमीटर पक्की-कच्ची व चैनल वॉटर कोर्स के माध्यम से 28402 हेक्टेयर जमीन की खरीफ-रबी फसल को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने का दावा है।
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लेकिन नहरों के अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पाता है। क्योंकि नहरें जगह-जगह टूटी हैं। दूसरी ओर जलाशय-डायवर्सन का संकेत देने ग्लो साइन बोर्ड लगवाने में जीएसटी काटने के बाद 9.55 करोड़ खर्च किए गए हैं। संकेतक बोर्ड की संख्या करीब 100 है। इतनी बड़ी राशि में मनरेगा मद से 60 फीट लंबाई-चौड़ाई और 10 फीट गहराई वाले 100 तालाबों का निर्माण हो जाता।
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जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता ए. टोप्पो ने कहा कि जलाशयों के पास ग्लो साइन बोर्ड लगाने का काम बहुत पहले ही हुआ है। यह कार्य विभागीय स्तर पर होता है। कुछ कार्यों में निर्माण के समय बोर्ड लगाने का प्रावधान रहता है।
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सिंचाई रकबा 28402 हेक्टेयर

नहर की लंबाई 509.8811 किलोमीटर

पक्की नहर की लंबाई 175175.002 किलोमीटर

चैनल वाटर कोर्स 32.186 किलोमीटर

03 – ट्यूबवेल

02 – मध्यम सिंचाई परियोजना

15 – डायर्वसन
79 – जलाशय

04 – एनीकट

दुर्ग: डीएमएफ के रुपयों से कर दी टंकियों की रंगाई

दुर्ग में पीएचई में पैसों की बर्बादी की जा रही है। विभाग द्वारा जल जीवन मिशन के तहत 240 करोड़ से ज्यादा खर्च कर जिले के हर घर में नल से पानी पहुंचाने का सिस्टम तैयार किया जा रहा है। इस मद से जहां नल, जल योजना नहीं है वहां पूरा स्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। जहां पहले से नल जल है वहां की पुरानी टंकियों की मरम्मत की जाएगी। बावजूद पुरानी टंकियों की मरम्मत के नाम पर डीएमएफ मद से ग्रामीणों ने बताया कि पुरानी टंकी की मरम्मत के नाम पर सिर्फ रंगरोगन ही किया जा रहा है। पीएचई द्वारा डीएमएफ से जिले की 31 पुरानी टंकियों की मरम्मत कराई जा रही है।
इनमें से हर टंकी के लिए 3 लाख से ज्यादा खर्च का प्रावधान किया गया है। टंकियों की मरम्मत के लिए कुल 1 करोड़ 4 लाख स्वीकृत किए गए हैं। इसमें से 70 लाख से ज्यादा भुगतान भी हो चुका है। खास बात यह है कि इन टंकियों की मरम्मत का कार्य जल जीवन की राशि स्वीकृति के बाद की गई है। जल जीवन मिशन में प्रावधान के बाद भी अलग मद से टंकियों की मरम्मत विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है।

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