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रायपुर

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कोरोना संक्रमितों को दे दी होम आइसोलेशन की अनुमति, 18 मरीजों की मौत

मरने वालों में संक्रमित होने से पूर्व से कैंसर, किडनी, लिवर और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीज थे। परिजनों ने जिला प्रशासन से होम आइसोलेशन का विकल्प अंडर टेकिंग (सहमति-पत्र) देकर ले लिया। जबकि संबंधित एजेंसी जिला प्रशासन को यह अनुमति देनी ही नहीं चाहिए थी ।

रायपुरOct 22, 2020 / 08:02 am

Karunakant Chaubey

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कोरोना संक्रमितों को दे दी होम आइसोलेशन की अनुमति, 18 मरीजों की मौत

गंभीर बीमारियों से जूझ रहे कोरोना संक्रमितों को दे दी होम आइसोलेशन की अनुमति, 18 मरीजों की मौत

रायपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमण की रफ्तार में नियंत्रण, अस्पतालों में बेड कम पडऩे की समस्या का समाधान और साधन-संस्थान, मैन पावर की कमी को बहुत हद तक होम आइसोलेशन के विकल्प ने हल कर दिया। प्रदेश में 20 अक्टूबर तक 1,65,279 मरीजों ने कोरोना को मात दी, जिनमें से 68,189 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में रहते हुए ठीक हुए।

मगर, इस विकल्प को 18 मरीजों और उनके परिजनों की लापरवाही ने सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। होम आइसोलेशन की सुविधा को चुनने वाले 18 कोरोना संक्रमित मरीजों की इस कोरोना काल में मौत हुई है। यह खुलासा स्टेट कोरोना डेथ ऑडिट टीम की रिपोर्ट में हुआ है।

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मरने वालों में संक्रमित होने से पूर्व से कैंसर, किडनी, लिवर और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीज थे। परिजनों ने जिला प्रशासन से होम आइसोलेशन का विकल्प अंडर टेकिंग (सहमति-पत्र) देकर ले लिया। जबकि संबंधित एजेंसी जिला प्रशासन को यह अनुमति देनी ही नहीं चाहिए थी ।

स्वास्थ्य विभाग की अवर मुख्य सचिव (एसीए) रेणु पिल्ले के सामने डेथ ऑडिट कमेटी के अध्यक्ष डॉ. सुभाष पांडेय ने प्रजेंटेशन दिया। सूत्र बताते हैं कि एसीएस नाराज हुईं। कहा कि जिलों को स्पष्ट तौर पर यह बता दिया जाए कि होम आइसोलेशन किन मरीजों के लिए है और नियम क्या हैं?

मौत की 3 प्रमुख वजहें

1- मरीज/परिजनों की लापरवाही- संक्रमित पाए जाने पर बुजुर्ग व्यक्ति घर पर ही रहकर इलाज करवाना चाहते है। परिजन, खुद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना चाहते। जब बहुत ज्यादा स्थिति बिगड़ती है तब अस्पताल ले जाते हैं।

2- एम्बुलेंस मिलने में देरी- मरीज का ऑक्सीजन लेवल गिरने पर तत्काल अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस समय पर नहीं मिलती।
3- इलाज में देरी- मरीज को जब तक अस्पताल ले जाया जाता है, तब तक स्थिति बहुत ज्यादा गंभीर हो चुकी होती है। तत्काल इलाज न मिलने पर भी मौत होती है।

कई घरों में थर्मामीटर तक नहीं मिले

इन मौतों पर हुए डेथ ऑडिट के तौर विभागीय टीम ने पाया कि मृतक मरीज के घर में होम आइसोलेशन के लिए अनिवार्य बुखार नापने के लिए थर्मामीटर, पल्स और ऑक्सीजन नापने के लिए पल्स ऑक्सी मीटर, बीपी मशीन तक नहीं मिली।

होम आइसोलेशन इनके लिए नहीं

10 साल से कम उम्र के बच्चों और 50 साल से अधिक के बुजुर्गों, ऐसे व्यक्ति जो किसी भी अन्य बीमारी से ग्रसित हों और गर्भवतियों। इन्हें अस्पताल में ही भर्ती करवाया जाना है।

किन कोरोना पॉजिटिव मरीजों को अस्पताल में भर्ती करवाना है, किन्हें होम आइसोलेशन दिया जा सकता है। इसकी क्लीयर कट गाइडलाइन जिलों के पास है। फिर भी चूक करते हैं। फिर से पत्र लिखे गए हैं।

-डॉ. सुभाष पांडेय, अध्यक्ष, डेथ ऑडिट कमेटी एवं प्रवक्ता, स्वास्थ्य विभाग

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