मंदिर के लिए भगवान ने काट ली हाथ की नस, चार साल पहले डीबी पावर के वाहन से टूटा था मंदिर
जिले में बाल विवाह का प्रचलन आज भी विद्यमान है। इसकी सूचना बीच-बीच में जिला प्रशासन को मिलती रहती है। वहीं महिला बाल विकास विभाग और जिला बालसंरक्षण इकाई के पास लगातार आ रहे बाल विवाह के प्रकरणों को देखते हुए कलेक्टर यशवंत कुमार ने उनसे सूची मांगी और मामले को गंभीरता से लेते हुए मंदिरों और प्रिंटिंग प्रेस को एक लेटर जारी किया।पीसीसी मोहन मरकाम ने मोदी सरकार पर लगाया सौतेला व्यवहार करने का लगाया आरोप
ऐसे में कलेक्टर ने मंदिर प्रबंधनों को अपने पत्र में साफ तौर पर कहा कि विवाह से पहले वर-वधु का मूल जन्म तिथी संबंधी दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल मार्कशीट, स्कूल का दाखिल खारिज, आंगनबाड़ी में दर्ज जानकारी एवं कोटवार पंजी में दर्ज अभिलेख इत्यादि की मांग करें एवं समुचित जांच परीक्षण के बाद ही विवाह कराएं।छत्तीसगढ़ में बिना डाक्टरों के ही चल रहा इलाज, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के जवाब से हुआ खुलासा
प्रिंटिंग प्रेस के संबंध में कलेक्टर यशवंत ने अपने चिट्टी में कहा है कि प्राय: सभी लोग विवाह के लिए शादी कार्ड, निमंत्रण पत्र प्रिंटिंग प्रेस से ही छपवाकर वितरित करते हैं। ऐसे में प्रिंटिंग प्रेस का संचालक कार्ड छपावाने का आर्डर लेते समय वर-वधु का मूल जन्म तिथी संबंधी दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल मार्कशीट, स्कूल का दाखिल खारिज, आंगनबाड़ी में दर्ज जानकारी एवं कोटवार पंजी में दर्ज अभिलेख इत्यादि की मांग करें एवं प्रत्येक शादी कार्ड में जन्म तिथि प्रकाशित करें।जिले की पहली पहल
मिली जानकारी के अनुसार यह पहला मामला है जहां जिला कलेक्टर द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए अच्छी पहल की जा रही है। इससे बाल विवाह के रोकथाम में जिला प्रशासन व संबंधित विभाग को काफी हद तक मदद मिलेगी। वहीं हर जगर वर-वधु के जन्म संबंधी दस्तावेजों की जांच होने शुरू होने से बाल विवाह पर प्रतिबंध भी लगेगा।
कई मंदिरों में रुकवा चुके हैं शादी
इस संबंध में जिला बाल संरक्षण अधिकारी दीपक डनसेना ने बताया कि उनके द्वारा पूर्व में जिले व जिले से लगे कई मंदिरों जैसे चन्द्रपुर स्थित चन्द्रहासिनी मंदिर, जामगांव मानकेसरी मंदिर सहित अन्य मंदिरों में बाल विवाह की जानकारी मिलने पर कई शादी रूकवा चुके हैं। इसीलिए कलेक्टर द्वारा मंदिर प्रबंधनों को पत्र जारी कर जन्म संबंधी दस्तावेजों की जानकारी लेने के लिए कहा गया है। ताकि बाल विवाह की प्रथा बंद हो सके।–टिकवेंद्र जाटवर, डीपीओ, महिला बाल विकास विभाग