इधर उत्तर प्रदेश है, जहां की राजनीति का देश पर बहुत बड़ा असर होता है। पिछली बार वे रायबरेली की बगल की अमेठी सीट से हार गए थे। वे तीन बार अमेठी से चुनाव जीत भी चुके हैं। 2004 में पहली बार सांसद बनने के बाद वे 2019 में बीजेपी की स्मृति इरानी से हारे थे। उसी समय वे केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़े थे, वहां से वे जीत कर संसद में पहुंचे थे। इस दौरान स्मृति इरानी ने वहां जनता के बीच अपनी पकड़ और अपना घर दोनों बना लिया। ये अलग बात है कि अभी भी कांग्रेस और राहुल के प्रति वहां के लोगों के बीच प्रेम और सम्मान बरकार है।
अपना बेटा बरेली की जनता को सौंप रही हूं: सोनिया गांधी
इस बार राहुल गांधी ने अपनी सीट अमेठी से बदल कर रायबरेली कर दी। राहुल के नामिनेशन में उनकी मां और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी गईं थी। उन्होंने तब रायबरेली के लोगों से कहा था कि वे अपना बेटा उन्हें सौंप रही हैं।
प्रियंका ने बताया था परिवार
राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी ने भी ये कह कर प्रचार किया था कि रायबरेली तो उनके परिवार की सीट है। ऐसे में अगर वे रायबरेली की सीट छोड़ने का फैसला करते हैं तो रायबरेली और अमेठी दोनों जगहों की जनता उनसे खफा हो सकती है।