बारिश कम होने के कारण धान की रोपाई भी पिछड़ गई
किसानों की मानें तो इस माह के अंत तक अच्छी बारिश नहीं हुई तो धान के फसल पर भी असर देखने को मिलेगा। बारिश कम होने के कारण धान की रोपाई भी पिछड़ गई है। बीते साल 7 जुलाई की स्थिति में जिले में 307 मिमी बारिश हो गई थी। लेकिन इस साल तो अभी तक मात्र 158 मिमी ही बारिश हुई है। यानी बीते साल की तुलना में इस साल 149 मिमी कम बारिश हुई है।
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इस साल 61 प्रतिशत बोआई पूर्ण, धान की रोपाई जारी
कृषि विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक विभाग ने इस साल जिले में 1 लाख 77 हजार हेक्टेयर में धान की बोआई करने का लक्ष्य रखा है। अभी तक कुल 1 लाख 18 हजार 577 हेक्टेयर में धान की बोआई भी पूरी हो चुकी है। वहीं लगभग 27 हजार हेक्टेयर में रोपाई का लक्ष्य है। अभी तक लगभग 6 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई भी हो चुकी है। अभी भी धान की रोपाई जारी है। अगर कृषि की बात करें तो लगभग 61 प्रतिशत धान की बोआई पूरी हो चुकी है।
इस जुलाई माह में अच्छी बारिश नहीं हुई तो फसलों के लिए होगा नुकसानदायक
मानसून सीजन में अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। जबकि उम्मीद लगाई जा रही थी की इस साल अच्छी बारिश होगी। आषाढ़ का आधा माह बीत गया है। दो सप्ताह बाद सावन लग जाएगा। ऐसे में अब इस आषाढ़ माह के बचे हुए दिनों में किसान अच्छी बारिश होने की आस लगाए हुए है।
जानें इस साल इस मानसून सीजन किस तहसील में कितनी हुई बारिश
तहसील – बारिश मिमी में
बालोद – 177.1
गुंडरदेही – 130.8
गुरुर – 173.7
डौंडीलोहारा – 241.3
डौंडी – 105.3
अर्जुंदा – 106.1
मार्रीबंगला देवरी – 176.6
औसत – 158.7 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
मानसून की बेरुखी से चिंतित हैं किसान
बता दें कि जबसे मानसून सक्रिय हुआ है तब से काले बादल छा भी रहे हैं। लेकिन जैसी बारिश होनी चाहिए, बरस नहीं रहे हैं। बिन बरसे ही बादल लौट जाते हैं, जिससे किसान काफी चिंतित हैं।
इधर खेतों में बोर हो रहे बंद, भूजल स्तर गिरना वजह
ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसान ऐसे भी हैं, जो ट्यूबवेल के भरोसे रोपाई करने की तैयारी कर रहे हैं। किसानों ने नर्सरी भी तैयार की है लेकिन भू जल स्तर गिरने से ट्यूबवेल भी बंद हो रहे हैं। जबकि इस मानसून सीजन में तो भू जल स्तर बढ़ता है पर इस साल मानसून में भी भूजल स्तर गिरता जा रहा हैं।