अनाथ आश्रम के 2 नाबालिग बच्चे दुकान में चोरी करते पकड़े गए, सीसीटीवी कैमरा देख पहुंचा था दुकानदार
पूर्व में कोर्ट ने लगाई थी शासन के आदेश पर रोकबता दें कि पूर्व में याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने राज्य शासन की इस अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान 2 दिसंबर 2019 को शासन की तरफ से तत्कालीन महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने अधिसूचना तैयार करने में गलती होना स्वीकार किया था। इस गलती को सुधारने के लिए कोर्ट ने एक सप्ताह का समय दिया था। इस पर कोई खास अमल नहीं होने पर तत्कालीन चीफ जस्टिस की खंडपीठ ने अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। साथ ही सरकार को नियमानुसार दो माह में फिर से नियम बनाने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने आरक्षण पर लगी रोक के आदेश में संशोधन या फिर उसे रद्द करने की मांग भी खारिज कर दी थी।
प्रमोशन में आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि राज्य एससी और एसटी कर्मचारियों को प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले क्वॉन्टेटिव (मात्रात्मक) डाटा जुटाने के लिए बाध्य हैं। बिना आंकड़े के नौकरियों में प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं दिया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन देने से पहले राज्य सरकारों को आंकड़ों के जरिए ये साबित करना होगा कि एससी-एसटी का प्रतिनिधित्व कम है। वहीं इस मामले पर समीक्षा अवधि केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित की जानी चाहिए।