मुस्लिमों में एक परंपरा है कि किसी की मौत हो जाने पर उनका चालीसवां किया जाता है। इस मौके पर सारे रिश्तेदार मृतक की आत्मा की शांति के लिए कुरान का पाठ करते है। और उनको भोजन कराया जाता है। ऐसे में लंबे समय से फरार चल रही शाइस्ता को पकडऩे के लिए पुलिस एक बार फिर कमर कसे हुए है। माना जा रहा है कि अतीक और अशरफ का चालीसवां जरुर मनाया जाएगा। शाइस्ता भी चालीसवें में दुआ करने के लिए आ सकती है। पुलिस अतीक के करीबियों को ट्रेस करने में लगी है।
इमाम हुसैन की शहादत के 40वें दिन चेहल्लुम मनाया जाता है। ऐसे में 40वें को रिवाज के तौर पर लिया जाता है। माना जाता है कि 40वें पर माफी मिलने से मृतक को जन्नत मिलती है। मृतक आत्मा की शांति और जीवित रहते हुए उसके द्वारा किए गए गुनाहों की माफी 40वें में मांग जाती है। मुसलमानों में ये परंपरा लंबे समय से चली आ रही है।