इलाहाबाद. केन्द्रीय कारागार नैनी में सजा काट चुके कैदियों ने बगावत कर दी है। मामले को लेकर शनिवार को बरेली जेल में बंद कैदियों के समर्थन में यहां के भी कैदी आ गए है। बंदियों की भूखहड़ताल से जेल में खलबली मच गयी है। हालांकि जेल प्रशासन ने इस तरह की बगावत से साफ इनकार किया है। वहीं दूसरी तरफ हड़ताल से मिलाई करने वालों पर पाबंदी की भी चर्चा है।
बतादें कि केन्द्रीय कारागार नैनी में 2250 की क्षमता से दो गुना सजायाफ्ता व विचाराधीन कैदी हैं। इसमें सजायाफ्ता की संख्या 1800 से अधिक व विचाराधीन 2500 से ज्यादा है। इन कैदियों में लगभग 265 से अधिक कैदी 14 वर्ष की सजा बतौर उम्रकैद काट चुके हैं। कैदियों का तर्क है कि जेल में उम्र कैद की सजा होने के बाद मृत्यु तक कैदियों को जेल में ही बंद रखा जाता है। जबकि पहले इसकी समयावधि 14 साल थी। आजीवन कारावास में 14 साल की सजा पूरी कर चुके कैदियों की मांग है कि उनकी रिहाई की जाए। कुछ दिन पहले इसी मांग को लेकर बरेली जेल में कैदियों ने हड़ताल शुरू की।
इसकी जानकारी मिलने पर शनिवार सुबह लगभग 200 बंदी भूख हड़ताल पर उतर गए। कुछ ही देर बाद उनके समर्थन में 30 कैदी और आ गए। यह देख बंदीरक्षकों में खलबली मच गई। इसकी जानकारी जेल प्रशासन तक पहुंची। आनन-फानन में मुलाकातियों पर रोक लगा दी गई। इससे कैदियों में रोष व्याप्त हो गया। सूत्रों का कहना है कि जेल के भीतर कैदी भूख हड़ताल पर हैं, लेकिन सोमवार तक इनकी संख्या अधिक हो सकती है। उधर, जेलर वीके मिश्रा का कहना है कि जेल में कैदियों ने भूख हड़ताल नहीं की है। दूसरे जेल में अनशन से यहां की जेल की झूठी अफवाह उड़ाई जा रही है।
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