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Mahakumbh 2025: मौनी अमावस्या पर आएंगे 8-10 करोड़ श्रद्धालु, सीएम योगी ने दिए खास आदेश

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में आने वाले दिनों में भी भक्तों का सैलाब उमड़ेगा। महाकुंभ में 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर 8-10 करोड़ लोगों के आगमन की संभावना है। ऐसे में प्रशासन पूरी तैयारी में जुटी हैं।

प्रयागराजJan 16, 2025 / 08:54 am

Aman Pandey

Maha Kumbh 2025

Mahakumbh 2025: 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर 8-10 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम स्नान की संभावना है। इसको देखते हुए सीएम योगी ने व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाए जाने के निर्देश दिए हैं। सीएम योगी बुधवार को शासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ महाकुंभ के बीते 3 दिनों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे।

सीएम बोले- युद्धस्तर पर करें तैयारी

सीएम योगी ने कहा कि पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति के दो प्रमुख स्नान पर्व पर 6 करोड़ से अधिक लोगों ने त्रिवेणी स्नान का पुण्य लाभ प्राप्त किया है। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर 8-10 करोड़ लोगों के आगमन की संभावना है। ऐसे में व्यवस्थाओं को और बेहतर करने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि रेलवे के साथ संवाद बनाकर महाकुंभ स्पेशल ट्रेनों का समयबद्ध आवागमन सुनिश्चित कराया जाए। नियमित और विशेष ट्रेनों का संचालन लगातार किया जाए। श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए इनकी संख्या को बढ़ाना चाहिए।

टेथर्ड ड्रोन से निगरानी

ये ड्रोन जमीन से 120 मीटर ऊंचाई पर उड़ान भरते हैं। तीन किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। हाईटेक थर्मल और आइआर कैमरों से लैस हैं। दिन और रात में जूम क्षमता इतनी होती है कि जमीन पर पड़ा सामान भी नजर आ जाता है। इस तरह के 11 ड्रोन लगाए गए हैं। एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) की ओर से भी इनका उपयोग किया जा रहा है। तटों पर पानी के भीतर भी ड्रोन लगाए गए हैं। मेला परिसर में ड्रोन उड़ाना प्रतिबंधित है। अब तक नौ ड्रोन जब्त किए गए हैं।

संगम में डुबकी के बाद अयोध्या

देशभर से भक्त संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं। इसके बाद अयोध्या में रामलला के दर्शनों के लिए भी जा रहे हैं। गोवा से आईं मधु साल्वेनकर ने कहा कि परिवार के साथ अयोध्या जाएंगी। पुणे के आकाश जाधव,जोधपुर से आए विक्रम राठी भी परिवार के साथ रामलला के दर्शन करने जाएंगे। ज्यादातर भक्त व्यवस्था से संतुष्ट नजर आए।
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कुंभ के जानकारों ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के दौरान कुंभ मेला एक ऐसा मंच बन गया था,जहां धर्म और स्वतंत्रता की चेतना का संगम देखने को मिलता था। अंग्रेजों ने इस आयोजन को राजनीतिक और सामाजिक खतरे के रूप में देखा। वर्ष 1918 के कुंभ मेले के समय रेलवे बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष आर डब्ल्यू गिलन ने संयुक्त प्रांत के उप राज्यपाल जेम्स मेस्टन को पत्र लिखकर कुंभ मेले के लिए जाने वाली ट्रेनों की संख्या कम करने और टिकट की बिक्री बंद करने का आग्रह किया। इस निर्णय ने न केवल तीर्थयात्रियों की आस्था पर चोट पहुंचाई, बल्कि लोगों के बीच आक्रोश भी पैदा किया। महात्मा गांधी ने 1918 के कुंभ में न केवल स्नान किया,बल्कि मेले में उपस्थित लोगों से मुलाकात कर उन्हें स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के लिए प्रेरित भी किया था।

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