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Mahakumbh News: 1100 लोग बने नागा साधु, इस बार 25000 लोगों को बनाने का है लक्ष्य, जानिए कैसे बनते हैं नागा साधु

बार कुंभ में लगभग 25 हजार लोग नागा साधु बनने जा रहे। नागा साधु बनने के लिए एक व्यक्ति को कई वर्षों तक आध्यात्मिक अनुशासन और तपस्या करनी होती है।

प्रयागराजJan 19, 2025 / 06:57 am

Abhishek Singh

Naga Sadhu: दिव्य कुंभ का दरबार सज चुका है। हजारों लाखों लोग रोज कुंभ में स्नान कर पुण्य की प्राप्ति कर रहे हैं। कुंभ में आए हुए साधु संतों में सबसे ज्यादा कौतूहल का केंद्र नागा साधु बने हुए हैं।आज शनिवार को लगभग 11 सौ लोगों को नागा साधु की दीक्षा दी गई। इस बार कुंभ में लगभग 25 हजार लोग नागा साधु बनने जा रहे। नागा साधु बनने के लिए एक व्यक्ति को कई वर्षों तक आध्यात्मिक अनुशासन और तपस्या करनी होती है।

आइए जानते हैं कैसे बनते हैं नागा साधु –

नागा साधु बनाने के लिए सर्वप्रथम आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करना होता है। जिसमें वेदों, उपनिषदों, और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करना शामिल है। इसके बाद व्यक्ति को एक अनुभवी गुरु की खोज करनी होती है, जो उन्हें आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान कर सके। तीसरे चरण में व्यक्ति को संन्यास की प्रतिज्ञा लेनी होती है, जिसमें वह दुनियावी मोह और सुखों को त्यागने का वचन देता है। व्यक्ति को उसके सांसारिक सुख में लौट जाने की सलाह दी जाती, यदि वह इंकार करता है तो उसे आगे के लिए संतों और महात्माओ के संगति में रखा जाता है। तत्पश्चात व्यक्ति को कई वर्षों तक तपस्या और अनुशासन करना होता है, जिसमें वह अपने शरीर और मन को नियंत्रित करने का प्रयास करता है।

नागा साधु की दीक्षा

जब व्यक्ति तपस्या और अनुशासन के माध्यम से आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति प्राप्त कर लेता है, तो उसे नागा साधु की दीक्षा दी जाती है। नागा साधु बनने के तीन चरण होते हैं। पहले चरण में उसे अवधूत या महापुरुष बनाया जाया है। उसके बाद वह नागा संस्कार करके वह अपना और अपनी सात पीढ़ियों का पिंडदान करता है। तत्पश्चात धर्म ध्वजा के नीचे उसकी नसों को खींच कर उसे नपुंसक बना दिया जाता है। उसके बाद वह 108 डुबकियां लगाकर नागा साधु बन जाता है। विजय होम की इस क्रिया के दौरान वह 24 घंटे तक भूखा प्यासा रहता है। नागा साधु बनने के बाद वह अपना सम्पूर्ण जीवन देश और धर्म की रक्षा के लिए समर्पित कर देता है।

नागा बनने के बाद वस्त्र त्यागना पड़ता है

नागा साधु बनने के बाद वह वस्त्र त्याग देता है क्योंकि वस्त्र को वह सांसारिक आडंबर समझता है। नागा साधु बनने के बाद व्यक्ति को जीवन पर्यंत साधना करनी होती है, जिसमें वह अपने आध्यात्मिक ज्ञान और शक्ति को बढ़ाने का प्रयास करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि नागा साधु बनने का मार्ग बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है, और इसमें कई वर्षों तक कठिन तपस्या और अनुशासन की आवश्यकता होती है।
अलग अलग कुंभ के दौरान नागा बनने वाले लोगों को अलग अलग नाम दिया जाता है। जैसे प्रयाग में गंगा मां के तट पर नागा बनने वालों को राज राजेश्वरी, हरिद्वार वाले नगाओं को बरपानी और उज्जैन में नागा बनने वाले साधुओं को धूनी कहा जाता है।

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