scriptHanuman Jayanti 2023: हनुमान जी को औरंगजेब ने किले में कैद करना चाहा लेकिन मूर्ति टस से मस नहीं हुई, तानाशाह नतमस्तक हो गया | Lete Hanuman ji Mandir Sangam Prayagraj Story Every Year Maa Ganga Com | Patrika News
प्रयागराज

Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जी को औरंगजेब ने किले में कैद करना चाहा लेकिन मूर्ति टस से मस नहीं हुई, तानाशाह नतमस्तक हो गया

आज हनुमान जयंती है। आज ही के दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था। हनुमान जन्मोत्सव चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान हनुमान चिरंजीवी है अर्थात त्रेता युग से अभी तक जीवित है और भगवान श्रीराम के नाम का जाप कर रहे हैं। हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है। यह पूरी दुनिया मे इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंग बलि की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है। आईए आज उसी मंदिर के बारे में जानते है

प्रयागराजApr 06, 2023 / 11:06 am

Vikash Singh

hanuman_ji__1.jpg

मंदिर के महंत बलवीर गिरी महाराज के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ साथ पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बल्लब भाई पटेल और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे तमाम विभूतियों ने अपने सर को यहां झुकाया, पूजन किया और अपने लिए और अपने देश के लिए मनोकामन मांगी।


कानपुर के सेठ मिर्जापुर से ला रहे थे मूर्ति

लेटे हनुमान जी की कहानी सैकड़ों साल पुरानी है। कानपुर के एक सेठ ने मन्नत मांगी थी कि उन्हें संतान होगी तो वह हनुमान जी की विशाल मूर्ति स्थापित कराएंगे। मूर्ति लाने के लिए वो मिर्जापुर गए। उस समय मिर्जापुर से नाव चला करती थी। मिर्जापुर से नाव में मूर्ति लेकर वो चले और प्रयागराज में संगम किनारे आते-आते नाव डूब गई।

बताया जाता है कि रात में उस सेठ के सपने में हनुमान जी आए और कहा कि हमको यहीं रहने दो, हम यहीं पर विश्राम करेंगे। सुबह हुई तो सेठ हनुमान जी के निर्देश के मुताबिक वह मूर्ति वहीं छोड़कर घर लौट गया। उसकी मनोकामना पूर्ण हुई और वह राजी खुशी स अपना जीवन बिताने लगा।

औरंगजेब ने मूर्ति को किले में कैद करनी चाही लेकिन हनुमान जी टस से मस नहीं हुए

उस समय बाघम्बरी गद्दी में बालगिरी महंत रहते थे। माघ मेले के समय में आज जहां मंदिर है, उस जगह पर उन्हें स्थान मिला था। उन्हें मूर्ति नदी में दिखाई दी। मूर्ति को बाहर निकाल कर हनुमान जी की पूजा शुरू हो गई। औरंगजेब के शासनकाल में यहां मेला लगने लगा।

भक्तों का सैलाब देख औरंगजेब ने हनुमान जी की मूर्ति को बिल्कुल सटे हुए अपने किले में ले जाना चाहा। औरंगजेब के कहने पर हनुमान जी की मूर्ति को खोदकर किले में ले जाने की कोशिश की गई लेकिन मूर्ति टस से मस नहीं हुई।

बल्कि औरंगजेब के खोदवाने के कारण मूर्ति और नीचे धंसती चली गई जिससे और मुश्किलें बढ़ती गई। औरंगजेब के सेना के सिपाही गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गए। बताते हैं कि औरंगजेब के सपने में भी हनुमान जी आए और उसे एहसास हुआ जैसे हनुमान जी कह रहे हों कि हमें यही रहने दो वरना किला ढह जाएगा। फिर अकबर ने मूर्ति को लेन का लाने का विचार त्याग दिया।
 
hanuman_mandir_one_.jpg
गांधी,नेहरू, पटेल से लेकर इंदिरा गांधी ने भी बजरंगी के सामने झुकाया सर

संगम आने वाल हर एक श्रद्धालु यहां सिंदूर चढ़ाने और हनुमान जी के दर्शन को जरुर पहुंचता है। बजरंग बली के लेटे हुए मन्दिर मे पूजा-अर्चना के लिए यूं तो हर रोज ही देश के कोने-कोने से हजारों भक्त आते हैं।

लेकिन, मंदिर के महंत बलवीर गिरी महाराज के अनुसार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ साथ पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बल्लब भाई पटेल और चन्द्र शेखर आज़ाद जैसे तमाम विभूतियों ने अपने सर को यहां झुकाया, पूजन किया और अपने लिए और अपने देश के लिए मनोकामन मांगी। यह कहा जाता है कि यहां मांगी गई मनोकामना अक्सर पूरी होती है।

लेटे हनुमान जी के अबतक कुल 8 महंत हुए हैं

पीढ़ी दर पीढ़ी हनुमान पूजन की परंपरा चलती रही। विचारानंद गिरि के बाद शिवानंद, राजेंद्र गिरि महंत बने। बलदेव गिरि, भगवान गिरि, नरेंद्र गिरि महंत बने। नरेंद्र गिरि की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत के बाद उनके शिष्य बलवीर गिरि इस समय महंत की गद्दी पर विराजमान हैं।
mahant_.jpg
हनुमान जी के 3 महत्वपूर्ण मंदिर हैं

शास्त्रों के अनुसार हनुमान जी स्वयंभू देवता हैं। वह तीन जगहों पर विशेष मुद्राओं में विराजमान हैं। गंगा सागर में समुद्र तट पर बेड़ी हनुमान के नाम से उनका मंदिर है। कुछ लोग इसे दरिया महावीर मंदिर के नाम से भी जानते हैं। इसकी भी कथा है, शार्ट में बताते हैं।
एक बार हनुमान जी को समुद्र के क्रोध से पुरी की रखवाली करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन वह भगवान जगन्नाथ को बिना बताए अयोध्या रवाना हो गए। बजरंगी के जाते ही समंदर का पानी शहर में प्रवेश कर गया और मंदिर क्षतिग्रस्त हो गया।
मान्यता है कि भविष्य में ऐसी गलती न हो और सुरक्षा सुनिश्चित रहे, ऐसे में भगवान जगन्नाथ ने हनुमान को जंजीर से बांध दिया। उन्हें दिन रात मुस्तैद रहने का आदेश भी दिया गया।

तब से यहां हनुमान जी की मूर्ति जंजीर से बंधी मिलती है। दूसरी विशेष मूर्ति संगम के किनारे है। यहां प्रयागराज में लेटी हुई मुद्रा यानी विश्राम के रूप में हनुमान जी मौजूद हैं। जबकि अयोध्या में बैठकर लड्डू खाती हुई मुद्रा में हनुमान जी विराजमान हैं।
hanuman_mandir_.jpg
गंगा मैया बजरंगबली को हर साल नहलाने के लिए आती हैं

हर साल गंगा मैया हनुमान जी को आकर स्नान कराती हैं। वह कहते हैं कि अगर किसी साल गंगा मैया हनुमान जी को स्नान नहीं कराती हैं तो प्रयागराज ही नहीं, पूरे देश के लिए इसे अशुभ संकेत माना जाता है। यही वजह है कि हनुमान जी के गंगा जल में शयन करने के दौरान भी पूजा पाठ जारी रहता है और इसे शुभ माना जाता है।
 
ganga_maiya_.jpg
गंगा मैया जब हनुमान जी को नहलाने के लिए आती हैं तब इसे पूरे उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Hindi News / Prayagraj / Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जी को औरंगजेब ने किले में कैद करना चाहा लेकिन मूर्ति टस से मस नहीं हुई, तानाशाह नतमस्तक हो गया

ट्रेंडिंग वीडियो