न्याय कक्ष में उचित दूरी के साथ छह कुर्सियों की व्यवस्था ही की जाएगी। इसके अलावा, पीठासीन अधिकारी को कोर्ट में व्यक्तियों के प्रवेश को परिस्थिति अनुसार प्रतिबंधित करने की शक्ति होगी। कहा गया है कि कोर्ट कैंपस का सैनिटाइजेशन चिकित्सा दिशानिर्देशों के अनुसार नियमित रूप से किया जाय।
जिला न्यायाधीश, मजिस्ट्रेट, अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और सीएमओ/सीएमएस की मदद से पूरे कोर्ट परिसर की सफाई सुनिश्चित किया जाय । जिला अधिकारी प्रतिदिन कोर्ट परिसर का सैनिटाइजेशन सुनिश्चित करायेगे।
न्यायिक अधिकारियों व वकीलों की मांग पर वर्चुअल कोर्ट की सुविधा का उपयोग न्यायिक कामकाज के लिए किया जा सकता है। कहा गया है कि न्यायिक सेवा केंद्र (केंद्रीकृत फाइलिंग काउंटर) या किसी अन्य उपयुक्त स्थान को सिविल , आपराधिक या किसी अन्य प्रकार के आवेदन को प्राप्त करने लिए चिन्हित किया जाना चाहिए।
ऐसे सभी मामले/आवेदन सीआईएस में पंजीकृत किए जाएंगे।
आवेदनों में मोबाइल नंबरों सहित अधिवक्ता/वादकारियों का विवरण होगा। आवेदन में यदि कोई दोष है तो संबंधित अधिवक्ता को सूचित किया जाय ।ताक दुरूस्त किया जा सके। पक्षकारों की तरफ से लिखित तर्क,बहस न्यायिक सेवा केंद्र में भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं, जिसे कंप्यूटर अनुभाग द्वारा संबंधित न्यायालय को भेजा जाएगा। कोर्ट परिसर में प्रवेश करने वाले प्रत्येक व्यक्ति द्वारा मास्क का सख्ती से उपयोग किया जाएगा। कोर्ट रूम के दरवाजे पर सैनिटाइजर की व्यवस्था की जाए। रीडर, क्लर्क आदि सोशल डिस्टेंसिंग के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करेंगे।
कोर्ट ने कहा कि यदि संबंधित जिला प्रशासन/सीएमओ की यह राय है कि जिला न्यायालय परिसर को कोविड-19 महामारी की स्थिति के कारण एक विशेष अवधि के लिए बंद किया जाना चाहिए, तो जिला न्यायालय अथवा मुख्यालय से बाहरी न्यायालय को निश्चित अवधि के लिए बंद किया जा सकता है। और विशिष्ट स्थितियों का उल्लेख करते हुए हाईकोर्ट को सूचना भेजी जाय। कोर्ट ने कहा है कि न्यायालय परिसर में प्रवेश करने वाले सभी व्यक्तियों की थर्मल स्कैनिंग जांच भी जिला मजिस्ट्रेट, अन्य प्रशासनिक अधिकारियों और सीएमओ/सीएमएस की मदद से सुनिश्चित करेंगे ।
जिला न्यायाधीश / प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, पीठासीन अधिकारी, वाणिज्यिक न्यायालय / भूमि एक्वीजीशन , पुनर्वास और पुनर्वास प्राधिकरण / मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण व अन्य न्यायिक अधिकारी सुप्रीम कोर्ट, इलाहाबाद हाईकोर्ट, केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 को लेकर जारी सभी दिशा-निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।न्यायालयों के कामकाज के संबंध में तंत्र और तौर-तरीकों के लिए बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी।
न्यायालय कक्षों/परिसरों में अधिवक्ताओं के प्रवेश को प्रतिबंधित/विनियमित करने के लिए उनसे आवश्यक सहायता ली जा सकती है। कहा गया है कि मुकदमा में अधिवक्ताओं की बहस पुरी होते ही वे न्यायालय कक्ष / परिसर से बाहर निकल जाएंगे।केवल ऐसे अधिवक्ताओं को, जिनका मामला किसी विशेष तिथि को सूचीबद्ध है, न्यायालय कक्ष में प्रवेश करने की अनुमति दी जा सकती है। यह आदेश अगले आदेश तक लागू रहेंगा।