वही प्रोफेसर रतनलाल हंगलू विवादों से दूर इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दूर जाकर अपना नया अध्याय शुरू करते उसके पहले कानूनी दांवपेच के दायरे में उनका कैरियर फंस गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में वित्तीय अनियमितता का मामला हो चाहे यौन उत्पीड़न का केस दोनों मामलों में अभी हंगलू को क्लीन चिट नहीं मिली है ।विश्वविद्यालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो जांच पूरी होने तक वह किसी भी कीमत पर देश छोड़ने की इजाजत नहीं पाएंगे। यदि जांच सही मिली तो हंगालू की मुसीबतें और बढ़ेंगी याद आरोप गलत मिले तो उनके अरमान पूरे हो सकते हैं।
प्रोफेसर हंगलू के इस्तीफे के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रशासनिक अफसरों पर भी मंत्रालय नजर बनाए हुए हैं ।ऐसा इसलिए कि प्रशासनिक पदों पर बैठे कई अधिकारियों की शिकायत अब तक मंत्रालय को मिल चुकी है। लगातार छात्र नेता और शिक्षकों द्वारा दागी शिक्षकों को पद मुक्त करने की मांग की जा रही थी पर कुलपति रहते हुए प्रोफेसर हंगलू ने किसी की नहीं सुनी।