बाढ़ के चलते फ़ूल की सप्लाई न के बराबर हो गई है। पुराने यमुना पुल के पास लगने वाली फ़ूल मण्डी में कारोबार ठप पड़ गया है। जो फ़ूल मण्डी में बाहर से आ रहें हैं उनका दाम आसमान छू रहा है। बता दें की यमुनापार के आधा दर्ज़न गावों में फ़ूलों की खेती होती है। जो कि यमुना नदी के बेहद नजदीक हैं जहां बाढ़ के चलते यमुना नदी क़ा पानी गुलाब के फ़ूलों की खेत में पहुंच चुका है। बताते हैं की यहां पर तकरीबन सौ बीघे में फैली फ़ूलों की खेती में लगभग 80 फ़ीसदी खेती गुलाब की होती है बाक़ी बीस फ़ीसदी खेती में गेंदा, सफेदा औऱ चमेली के फ़ूलों की खेती होती है।
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प्रयागराज के फ़ूलों की खुश्बू काशी अयोध्या तक फैली हुई है। लेकिन मौजूदा समय में गंगा -यमुना के बाढ़ में डूबी हुई है। जिससे गुलाब के फ़ूल नही उतारे जा सक रहे है। पुराने यमुना पुल के पास लगने वाली फ़ूलों की मण्डी में कारोबार भी ठप पड़ा हुआ है। जिस कारण फ़ूलों की खेती से अपने घऱ की रोज़ी रोटी चलाने वाले लोगों के ऊपर आर्थिक संकट की समस्या आ गई है। फ़ूल मण्डी में कारोबार करने वाले लोगों क़ा कहना है की अगर बाढ़ के हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले दिनों में नवरात्रि है जिसमें फ़ूलों की अधिक मांग होती है लेकिन बाढ़ में यहां की फ़ूलों की खेती डूबने से दुसरे जगहों से दुगने दामों में फ़ूल मंगाने पड़ रहें है।
पुराने यमुना पुल के दोंनो तरफ हर दिन फ़ूल की लगभग 100 के आसपास दुकाने लगतीं हैं। सुबह के समय थोक रेट में यहां से फ़ूल बड़े पैमाने पर बिकते हैं बाक़ी दिनभर यहां फुटकर की दुकानों पर फ़ूल बिकते रहतें हैं। बता दें की प्रतिदिन लाखों क़ा कारोबार होता है। यमुना में बाढ़ के यहां पर फ़ूलों क़ा व्यवसाय करने वालों को तगड़ा झटका लगा है। जिन परिवारों में फ़ूलों की खेती से होने वाली आमदनी से घऱ चलता था उन परिवारों पर आर्थिक संकट गहरा गया है। लोग बाढ़ के जल्द ही कम होने क़ा इन्तेज़ार कर रहें हैं हालांकि उनका कहना है की बाढ़ की चपेट में आने से बर्बाद हुई फ़ूलों की खेती से उन्हे जो झटका लगा है। उसकी भरपाई हाल के दिनों में होना मुश्किल ही है क्यूंकि नवरात्रि में अब कुछ ही समय बचा है आसपास की फ़ूलों की फसल बर्बाद हो चुकी है। बाहर से मंगाए जाने वाले फूलो का दाम सोने के भाव है जिसके चलते बड़ा नुक्सान फूल व्यवासियों का हो रहा है ।