गंगा नदी के तट पर स्थित दारागंज श्मशान घाट पूरी तरह से डूब गया है। शमशान के डूब जाने से लोगों को सड़क पर अंतिम संस्कार करने पर विवश होना पड़ा है। दारागंज घाट पर जाने वाली सड़क पर ही शव के अंतिम संस्कार किए जा रहे है। वहीं घाटों और लकड़ियों के डूब जाने के चलते विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करने वालों की भीड़ लग गई है। ऐसे में दूरदराज से आने वाले परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
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गंगा यमुना नदी के उफान के चलते कोहराम मचा है। बाढ़ के चलते दर्जनों इलाके बाढ़ से प्रभावित हैं लोगों के घरों में पानी भर गया है। वहीं 100 से ज्यादा गांव भी बाढ़ की चपेट में है। शहरी और ग्रामीण इलाकों की 5 लाख से ज्यादा आबादी इस बाढ़ के कहर का सामना कर रही है। प्रयागराज के दारागंज श्मशान घाट पर आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में लोग अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। लेकिन बाढ़ की वजह से उनका अंतिम संस्कार सड़कों पर या विद्युत शवदाह गृह (Electric crematorium )में एक लंबे इंतजार के बाद हो रहा है।
बाढ़ के चलते अंतिम संस्कार के लिए स्थान उपलब्ध ना होने के चलते नगर निगम द्वारा संचालित विद्युत शवदाह गृह में भीड़ लग रही गई है। बाढ़ के पहले जहां विद्युत शवदाह गृह में हर दिन 8 से 10 शवों का संस्कार होता था वही बाढ़ के चलते अब हर दिन 20 से 25 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा ।है ।विद्युत शवदाह गृह में भी अंतिम संस्कार के लिए लोगों को नंबर लगाना पड़ रहा है। घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। वहीं लाखों की कीमत की लकड़ियां नदी में बह जाने से घाट पर व्यवसाय करने वाले लोगों को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है।