एक वक्त था जब अतीक अहमद के नाम से प्रयागराज में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में लोग खौफ खाते थे। मगर उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने पर अतीक अहमद के बुरे दिन शुरू हो गए। अतीक के खिलाफ कई मामले किए गए। साथ ही दर्ज मामलों में कार्रवाई शुरू हुई और उसकी अवैध संपत्तियों और निर्माण को जमींदोज कर दिया गया।
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अतीक का पढ़ाई में नहीं लगता था मनफिरोज अहमद को लोग यहां फिरोज तांगेवाला के नाम से लोग जानने लगे। फिरोज अहमद अपने बेटे अतीक अहमद को पढ़ा लिखा कर बड़ा आदमी बनाना चाहते थे, लेकिन अतीक का पढ़ाई में मन नहीं लगता था। उसने 10वीं में फेल होने के बाद अपनी पढ़ाई छोड़ दी। अतीक अब कम उम्र में ही अपराध की दुनिया मे कदम बढ़ाने लगा।
साल 1979 में महज 17 साल की उम्र में अतीक पर कत्ल का पहला इल्जाम लगा। इसके बाद धीरे-धीरे अतीक अपराध की दुनिया का बादशाह बन गया। अतीक को लोग जानने लगे फिर गिरोह में लोग बढ़ते चले गए। वहीं इसका वर्चस्व भी बढ़ने लगा। अतीक अहमद पर साल 1986 में गैंगस्टर एक्ट का पहला केस दर्ज हुआ। कहा जाता है कि अतीक ने साल 1989 में अपने उस्ताद चांद बाबा की भी हत्या कर जुर्म की दुनिया मे अपना नाम कर लिया।
पूरे यूपी से अतीक अहमद के गिरोह में लगभग 120 शूटर थे। इसी बीच अतीक अहमद का बड़े नेताओं के बीच उठना बैठना शुरू हो गया। अब अतीक जान चुका था कि पैसे के साथ पॉवर की भी जरूरी है, तो उसने साल 1889 में चांद बाबा के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ा और उसे जीत हासिल हुई। अतीक ने तीन बार निर्दलीय चुनाव जीता और साल 1996 में सपा के टिकट से मिला और फिर जीत हासिल की। अतीक का राजनीति में तो कद बढ़ ही रहा था, वहीं अपराध की दुनिया में भी तेजी से नाम हो रहा था।
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साल 2004 में अतीक बन गया सांसद
अतीक अहमद ने साल 2004 में सोनेलाल पटेल की अपना दल पार्टी जॉइन की और फूलपुर संसदीय सीट का चुनाव जीत कर सांसद बन गया। अब सांसद बनने के बाद उसकी विधानसभा सीट खाली हो गई, तो उसने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को सपा से चुनाव लड़वाया, लेकिन बसपा के राजू पाल ने शहर पश्चिमी से चुनाव जीत लिया और विधायक वे बन गए।
अतीक और अशरफ इस हार को बर्दाश्त नहीं कर पाए। आरोप है कि इन्होंने 25 जनवरी 2005 को विधायक राजू पाल की दिन दहाड़े हत्या करवा दी। फिर अशरफ ने चुनाव लड़ा और जीत मिली। हत्या के 10 दिन पहले ही राजू पाल शादी हुई थी। पत्नी पूजा पाल ने अतीक अशरफ के अलावा और लोगों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया। अतीक को मोस्टवांटेड अपराधी किया गया घोषित
साल 2007 में यूपी मे बसपा की सरकार बनी। मायावती, सीएम बनीं तो पूजा पाल को विधायकी का टिकट दिया और पूजा पाल ने जीत हासिल की और विधायक बन गईं। इसके बाद अतीक को मोस्टवांटेड अपराधी के साथ उसपर इनाम घोषित कर दिया। अतीक को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया। साल 2014 में अखिलेश सरकार के बाद अतीक को जमानत मिल गई। फिर अतीक ने सपा से टिकट लेकर श्रावस्ती से चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार मिली।