कोर्ट ने कहा है कि शादी की पहली रात दहेज की मांग पूरी ना होने पर पति के रिश्तेदार ने नवविवाहिता के साथ बर्बर तरीके से बलात्कार किया। ऐसे आरोपी के समझौते के आधार पर छोड़ने से सभ्य समाज पर विपरीत असर पड़ेगा जिसे रद्द नहीं किया जा सकता। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने मुजफ्फरनगर के निवासी कलीम उनके परिवार के चार अन्य लोगों की याचिका पर दिया है।साथ ही मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए समझौते के तहत चार्जशीट रद्द करने की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है।
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कोर्ट ने कहा है कि आरोपियों का आचरण सभ्य समाज के मानकों के विपरीत है। यदि ऐसे समाज के विरुद्ध अपराधों में समझौते की अनुमति दी गई तो धनबल व बाहुबल वाले लोग आर्थिक व सामाजिक रूप से कमजोर लोगों पर दबाव डालकर अपराध को समझौते से खत्म करा लेंगे। मामले के तथ्यों के अनुसार 6 मार्च 2019 को पीड़िता की शादी हुई शादी में सात लाख खर्च हुए ससुराल वालों ने 50 हजार रुपए नगद की मांग की। उसके बाद किसी तरह भी विदाई हुई पहली रात पति के रिश्तेदार दाऊद ने पीड़िता के साथ दुराचार किया फिर पति ने भी रेप किया, जिसके बाद नवविवाहिता बेहोश हो गई। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया मामले में सांस पर भी गला दबाकर मारने और ससुर पर दहेज उत्पीड़न का आरोप है। पुलिस ने पीड़िता के बयान और उसके भाई द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर के आधार पर चार्जशीट दाखिल की अदालत ने संज्ञान भी ले लिया है। याची का कहना है कि उनके बीच समझौता हो चुका है। पीड़िता व वह पति पत्नी की तरह रह रहे हैं। इसलिए सीजीएम कोर्ट में विचाराधीन मुकदमे को रद्द किया जाए।