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प्रतापगढ़

Without becoming a disaster of life, the well of the mounter जान की आफत बने बिना मुंडेर के कुएं

Without becoming a disaster of life, the well of the mounter जान की आफत बने बिना मुंडेर के कुएं

प्रतापगढ़May 10, 2022 / 08:03 am

Devishankar Suthar

Without becoming a disaster of life, the well of the mounter जान की आफत बने बिना मुंडेर के कुएं

Without becoming a disaster of life, the well of the mounter जान की आफत बने बिना मुंडेर के कुएं


मनुष्यों और जीवों के लिए बन जाते है जानलेवा
प्रतापगढ़. कांठल में बिना मुंंडेर के कुएं लोगों और जीवों के लिए जान की अफत बने हुए है। बिना मुंंडेर के कुओं में आए दिन कई वन्यजीव गिरते रहते है। वहीं दूसरी ओर बिना मुंंडेर के कुओं में मनुष्यों के गिरने की भी दुर्घटनाएं होती है। ऐेसे में बिना मुंडेर के कुएं कई बार काल का ग्रास बन जाते है। बारिश के मौसम में तो बिना मुंडेर के कुओं से हादसे भी हो जाते है।
प्रतापगढ़ जिले में पहाड़ी इलाकों में अधिकांश कुओं की मुंडेर नहीं होती है। इलाके में पथरीली जमीन होने से यहां कुओं में दीवार बनाने की आवश्यकता नहीं होती है। मैदानी इलाकों में जरूर दीवारें बनानी पड़ती है। ऐसे में बिना मुंडेर के कुओं में कइ्र बार वन्यजीव गिर जाते है। जो जानलेवा बनल जाती है। वहींं बच्चे और कई युवा भी इन कुओं में गिरने से घायल हो जाते है। जबकि कई बार बच्चे और लोग पानी के लिए जाते है, जो कुएं में गिरने से मौत तक हो जाती है।
ऐसे मं कुओं की मुंडेर बनाना आवश्यक होता है। जिससे दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके। पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक लक्ष्मणङ्क्षसह चिकलाड़ ने बताया कि कई इलाकों में कई दर्जनों कुएं खेतों व सड$कों के किनारे बिना मुंडेर के कुएं है। इनमें रात के समय कई मवेशी व जंगली जानवर गिर जाने का अंदेशा बना रहता है। लोगों ने बताया कि कई बार ग्वाल बकरियां चराते है ऐसे में कभी भी हादसा हो सकता है। रात को वन्यजीव खेतों में भोजन की तलाश में निकलते है। इसी दौरान घास में कुएं के नजर नहीं आने के कारण इसमें गिर जाते है। कई बार इन कुओं में गिरने से इनकी मौत भी हो चुकी है। इनके साथ ही शिकार की तलाश में निकले वन्यजीव भी ऐसे कुओं में गिर कर दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं।
बारिश में नजर नहीं आते
बारिश के बाद बिना मुंडेर के कुओं के आस.पास घास उग जाती है। इस कारण यह पूरी तरह से ढंक जाते हैं और नजर नहीं आते। कई बार भोजन की तलाश में निकले वन्यजीव इन कुओं में गिर जाते हैं। कई बार लोग पानी पीने के लिए कुओं के पास जाते है। जो पैर फिसल जाने से इन कुओं में गिर जाते है।गहरे कुओं में गिरने से वन्यजीवों की मौत
जिले में इन दिनों जंगल में पानी सूखने लगा है। ऐसे में कई बार वन्यजीव भी पानी की तलाश में आबादी की ओर आ जाते है। जो बिना मुंडेर के कुओं में गिर जाते है। ऐसे में पानी कम होने और गहराई में होने से कई बार वन्यजीवों की मौत हो जाती है। हाल ही में सियाखेड़ी क्षेत्र में बिना मुंडेर के कुएं में गिरने से एक रोजड़े की मौत हो गई। कुएं में रोजड़ा गिरने की सूचना पर वन विभाग के फोरेस्टर त्रिलोकनाथ और कर्मचारी मौके पर पहुंचे। जहां गामीणों की मदद से रोजड़े को बाहर निकाला गया। तब तक रोजड़े ने दम तोड़ दिया था। सड$कों के किनारे बने बिना मुंडेर के कुएं वन्यजीवों तथा आमलोगों के लिए हादसे का सबब बने हुए है। इन कुओं में गिरने से वन्यजीवों सहित लोगों की जान भी जा चुकी है। जिले में कई जगह ऐसे कुएं बने हुए हैं, जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। अधिकतर खेतों और सड$क के किनारे बने इन कुओं में गिर कर कई वन्यजीव काल का ग्रास बन चुके हैं। सड$क किनारे बने ऐसे कुओं में कई वाहन भी दुर्घटना ग्रस्त हो चुके हैं।
मुंडेर बनाएं, समझे अपनी जिम्मेदारी
&क्षेत्र में बिना मुंंडेेर के कुएं कई जगहों पर है। ऐसे में कई बसर इनमें वन्यजीव और लोग भी गिर जाते है। अनजाने में कई लोग काल का ग्रास भी बन जाते है। ऐसे में किसानों को भी अपनी जि मेदारी समझानी होगी। इन कुओं की मुंंडेर आवश्यक रूप से बनानी होगी। जिससे वन्यजीवों और मनुष्यों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके।
सुनीलकुमार, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़

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