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भाजपा को क्यों है दक्षिण की 130 सीटों से अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद?

दक्षिण भारतीय राज्‍यों में भाजपा को है इस बार बड़े उलटफेर की उम्‍मीद
त्रिपुरा के बाद केरल में भी फहरा सकता है भगवा झंडा
संगठनात्‍मक स्‍तर पर भाजपा के जनाधार को मिलेगा विस्‍तार

Apr 24, 2019 / 02:53 pm

Dhirendra

pm modi

भाजपा को क्यों है दक्षिण के 130 सीटों से अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद?

नई दिल्‍ली। दक्षिण भारत की 6 राज्यों में से कर्नाटक को छोड़कर अन्य 5 राज्यों में भाजपा और कांग्रेस की स्थिति क्षेत्रीय दलों की पिछलग्गू बनकर रहने की ही रही है। लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने दक्षिण भारतीय राज्‍यों में भी खुलकर खेलने का निर्णय लिया और उसका लाभ भाजपा को मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि इस बार भाजपा को केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना से अप्रत्याशित परिणाम की उम्‍मीद है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा न केवल यूपी में संभावित नुकसान की भरपाई करने में कामयाब होगी, बल्कि भाजपा के जनाधार को भी विस्‍तार मिलेगा।
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त्रिपुरा के बाद केरल में फहराएगा भगवा झंडा

केरल में राजनीतिक दंगल हमेशा से वामपंथी दलों और कांग्रेस के बीच होता आया है। पिछले 71 सालों में वहां पर भाजपा अपना छाप छोड़ने में कामयाब नहीं हुई है। लेकिन अक्टूबर, 2017 में अमित शाह की केरल में 140 किलोमीटर लंबी जनरक्षा यात्रा, केजे अलफांसो को केंद्रीय मंत्री बनाने और सबरीमला मंदिर आंदोलन के मुद्दे पर हिंदुत्व कार्ड का लाभ भाजपा को मिलने की उम्मीद है। पिछले दो साल से जारी इन सियासी घटनाक्रमों के बाद से वामपंथ के अंतिम लालगढ़ में भाजपा की सियासी हैसियत कम्युनिस्ट और कांग्रेस के बाद तीसरे नंबर की हो गई है। हाल ही में केरल में पीएम मोदी की जनसभा में उमड़ी भीड़ से भाजपा की उम्मीदों को बल मिला है। अब देखना यह है कि लोगों के सेंटीमेंट्स को भाजपा केरल में कैश कर पाती है या नहीं। अगर ऐसा होता है तो 2019 के चुनाव में केरल की 20 सीटों में से भाजपा के खाते में दो से पांच सीटें आ सकती हैं। इसका नुकसान एलडीएफ को होने की उम्मीद है।
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तमिलनाडु

तमिलनाडु में भी इस बार पांच स्थानों पर भाजपा को जीत हासिल होने की उम्‍मीद है। 2014 में भाजपा केवल कन्‍याकुमारी सीट पर जीत हासिल करने में सफल हुई थी। यहां से पार्टी के नेता पी राधाकृष्‍णन चुनावी जीत हासिल करने में सफल हुए थे। इस बार भाजपा एआईएडीएमके, एमडीएमके, पीएमके व अन्य दो पार्टियों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। माना जा रहा है कि एनडीए को 38 में से 20 सीटों पर जीत मिल सकती है। अकेले भाजपा को यहां पर 3 से 5 सीटों पर जीत मिलने की उम्‍मीद है। तमिलनाडु में भाजपा उत्तर चेन्नई, नीलगिरीस, नगेरकोइल, वेल्लोर, कोयंबटूर और पोलाची सीटों पर मजबूत स्थिति में है। इन्‍हीं सीटों पर भाजपा को जीत की उम्‍मीद है। इस बार राजग में शामिल 5 दलों का नेतृत्व एआईएडीएमके के हाथ में है। बता दें कि भाजपा के लिए यह चुनाव तमिलनाडुु की राजनीति में जड़े जमाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
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आंध्र प्रदेश और तेलंगाना

2014 में आंध्र प्रदेश में भाजपा के दो सांसद विशाखापट्टनम और नरसापुर से लोकसभा में चुनकर पहुंचे थे। इस बार लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़ सकती है। 2014 में भाजपा ने तेलुगू देशम के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस बार अपने दम पर चुनावी मैदान में है। एक राय ये भी है कि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भले ही भाजपा को उस स्तर तक सफलता न मिले लेकिन भाजपा के रणनीतिकार यह मानते हैं इन दोनों राज्यों में पार्टी की जड़ें मजबूत होने से कोई रोक नहीं सकता है। इस राय के लोगों का कहना है कि जब त्रिपुरा जैसे राज्य में भाजपा का परचम लहरा सकता है तो इन दोनों राज्यों में भी संगठन को मजबूत करके उसी तरह का अवसर पैदा किया जा सकता है। 2014 में तेलंगाना में सिकंदराबाद से एक सीट भाजपा के खाते में आई। यहां से भाजपा दो से तीन सीटों पर जीत की उम्‍मीद है। वर्तमान में तेलंगाना से बंडारू दत्तात्रेय मोदी सरकार में श्रम एवं राज्य मंत्री हैं।
कर्नाटक

भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि इस बार उनकी पार्टी कर्नाटक की 28 में से 22 सीटों पर जीत हासिल करेगी। जबकि दक्षिण के राजनीतिक विश्लेषक भाजपा की बढ़त को स्वीकार करते हुुए 20 सीटों पर जीत की संभावना जता रहे हैं। बता दें कि 2014 के चुनाव में भाजपा कर्नाटक में 16 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल हुईं थी।
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पुद्दूचेरी
पुद्दूचेरी एक ऐसा राज्य है जो तमिलनाडू की राजनीति से प्रभावित है। यहां से कभी द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (डीएमके) कभी कांग्रेस और कभी आल इंडिया अण्णा द्रमुक मुन्नेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के लोग लोकसभा में पहुंचते रहे हैं। भाजपा की राजनीति का यहां पर कोई असर नहीं रहा है। परंतु एआईएडीएमके के राजग में शामिल होने के बाद आल इंडिया एनआर कांग्रेस (एआईएनआरसी) भी इसी गठबंधन मेें आई गई है। एन रंगास्वामी ने कांग्रेस से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली थी और भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में यह पार्टी भी शामिल है। यही वजह है कि पुद्दूचेरी की एकमात्र संसदीय सीट एनडीए के खाते में आ सकती है।
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दक्षिणी राज्यों में लोकसभा की राज्यवार सीटें

आंध्र प्रदेश – 25
तेलंगाना – 17
कर्नाटक – 28
तमिलनाडु – 39
केरल – 20
पुद़दूचेरी – 01
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