बता दें कि दार्जिलिंग के भाजपा सांसद राजू बिस्ता के पत्र के जवाब में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने पत्र में गोरखालैंड शब्द का जिक्र करने से विवाद पैदा हो गया है। कश्मीर के बाद बंगाल को बांटने की साजिश
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री गौतम देब ने कहा उन्होंने गोरखालैंड शब्द का इस्तेमाल क्यों किया? पूरे क्षेत्र में गोरखालैंड नाम की कोई जगह नहीं है। ऐसा जान पड़ता है कि जम्मू कश्मीर को बांटने के बाद भाजपा बंगाल को विभाजित करने की साजिश की योजना बना रही है। लेकिन जब तक यहां तृणमूल कांग्रेस है, राज्य को कोई बांट नहीं सकता।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह बोले- नेहरू जी के पैरों की धूल भी नहीं हैं शिवराज टीएमसी का आरोप निराधार लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरी भाजपा ने टीएमसी के इस आरोप को बेबुनियाद करार दिया है। दरअसल, दार्जिलिंग से भाजपा सांसद बिस्ता ने जुलाई में शाह को एक पत्र लिखा था।
पत्र के जरिए उन्होंने दिल्ली में पूर्वोत्तर के लोगों के साथ होने वाले नस्ली भेदभाव का जिक्र किया था। पत्र के जरिए बिस्ता ने मुकाबला करने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा बनाई गई विशेष शाखा के दायरे से गोरखाओं को बाहर रखने को लेकर चिंता प्रकट की थी।
भाजपा सांसद बिस्ता का कहना है कि गोरखालैंड शब्द के इस्तेमाल का पृथक राज्य के गठन से कोई लेना-देना नहीं है।
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बिस्ता ने बताया है कि गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) 2011 में तृणमूल कांग्रेस सरकार, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा और केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौते के बाद बना था।
यदि वे लोग गोरखालैंड शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं तो हम इस क्षेत्र के बाशिंदों को संबोधित करने के लिए इसका इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते हैं।
जम्मू-कश्मीर: प्रकाश जावड़ेकर बोले- 7 दिनों में आंसू गैस का एक भी गोला नहीं छोड़ा शाह पर बोला हमला गृह मंत्री अमित शाह ने बिस्ता के पत्र के जवाब में कहा कि गोरखालैंड और लद्दाख के लोगों को लेकर उनकी चिंता पर गौर किया जा रहा है। शाह के द्वारा पत्र में गोरखालैंड शब्द का इस्तेमाल करने की जानकारी मिलने पर तृणमूल कांग्रेस ने आलोचना की है।