गुजरात उच्च न्यायालय ने कहा था कि माणेक ने 2017 में गुजरात की द्वारका विधानसभा सीट से दोषपूर्ण नामांकन पत्र दायर किया था जिसके चलते उनके निर्वाचन को 12 अप्रैल को रद्द कर दिया था और इस सीट से उपचुनाव का आदेश दिया गया था।
उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए माणेक ने उच्चतम न्यायालय की शरण ली। अब अदालत ने माणेक की याचिका को स्वीकार करते हुए इस मामले पर २२ अप्रैल को सुनवाई करने का फैसला किया है।
मालूम हो गुजरात उच्च न्यायालय ने माणेक के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी मेरामन अहीर द्वारा दायर केस में सुनवाई करते हुए ये फैसला किया था। कांग्रेस नेता मेरामन ने ही उच्च न्यायालय में इस मुद्दे को उठाया था कि माणेक ने 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान दाखिल किए अपने नामांकन पत्र में काफी गलत सूचनाएं दी थी।
अहीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश परेश उपाध्याय ने यह आदेश दिया था। इसके प्रति उत्तर में माणेक के वकील ने अदालत से अपने फैसले पर चार हफ्तों के लिए रोक लगाने की मांग की थी ताकि वह उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकें। लेकिन उस मांग को भी न्यायाधीश उपाध्याय ने मानने से इनकार कर दिया था।
उधर अहीर ने अदालत से अपील की कि चूंकि माणेक अयोग्य घोषित हो चुके हैं, तो उन्हें इस सीट से विजयी घोषित किया जाए। लेकिन अदालत ने अहीर की याचिका को भी खारिज कर दिया था। अदालत का कहना था कि चूंकि अदालत ने माणेक को कोई राहत प्रदान नहीं की है ऐसी परिस्थिति में चुनाव आयोग को यहां उपचुनाव करवाने का आदेश दिया गया है।
बता दें कि दिसंबर 2017 में द्वारका सीट से विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन करते वक्त माणेक के प्रस्तावक ने नामांकन पत्र में निर्वाचन क्षेत्र का नाम नहीं लिखा था। अहीर ने इस मुद्दे को ही आधार बनाते हुए माणेक का चुनाव रद्द कर उन्हें विजेता घोषित करने की मांग की थी।
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