न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने देश में अप्रचलित हो चुके 1500 से ज्यादा कानूनों को खत्म करने के लिए मोदी और केंद्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद की तारीफ की। शीर्ष अदालत के न्यायाधीश ने बताया कि जिन कानूनों को समाप्त किया गया है उनकी उपयोगिता समाप्त हो चुकी थी। उक्त कानूनी की वजह से लालफीताशाही ( Red Tapism ) को समाप्त करना मुमकिन नहीं हो पा रहा था। इन कानूनी की समाप्ति से लोगों को नौकरशाही की जटिलताओं से राहत मिली है।
मनमोहन सिंह बोले- राष्ट्रवाद और भारत की जय के नारे का हो रहा है दुरुपयोग न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने सम्मेलन के शुभारंभ के लिए पीएम मोदी का आभार जताया। साथ ही इस बात पर जोर दिया कि मोदी की अगुवाई में भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय ( International Community ) का जिम्मेदार और सबसे अनुकूल सदस्य है। उन्होंने कहा कि गरिमापूर्ण मानव अस्तित्व हमारी अहम चिंता है। हम ग्लोबल लेवल की सोच रखकर अपने यहां काम करने वाले बहुमुखी प्रतिभा के धनी नरेंद्र मोदी का उनके प्रेरक भाषण के लिए शुक्रिया अदा करते हैं।
उन्होंने कहा कि पीएम के संबोधन विचार-विमर्श की शुरूआत के साथ सम्मेलन का एजेंडा तय करने में अहम भूमिका निभाऐंगे। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है और लोगों को हैरानी होती है कि यह लोकतंत्र कैसे इतनी कामयाबी से काम करता है। हमारा लोकतंत्र बहुलवादी संस्कृति और विविधताओं के साथ तालमेल बनाकर चलने वाला है।
CAA: दिल्ली का का दूसरा शाहीन बाग बना जाफराबाद, मेट्रो स्टेशन बंद अरुण मिश्रा ने कहा कि विकास की प्रक्रिया में पर्यावरण का संरक्षण हमारी सवोच्च प्राथमिकताओं में से एक होनी चाहिए। उन्होंने देश की न्यायिक व्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अब हम 21वीं सदी में हैं। हम केवल आज ही नहीं भविष्य के लिए मॉडर्न इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए भी देख रहे हैं।