लोकसभा चुनाव 2019: EC ने ड्रोन से की मतदान केंद्रों की निगरानी, हर स्तर पर दिखा…
अदालत इस मामले में हस्तक्षेप न करे केंद्र सरकार ने इस मामले में शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि न्यायालय को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। अदालत इस मुद्दे पर चुनाव प्रक्रिया पूरा होने के बाद अपना फैसला सुनाए।
आंध्र प्रदेश में 30% ईवीएम खराब, चंद्रबाबू नायडू ने EC से की पुनर्मतदान की मांग कालेधन को समाप्त करना इलेक्टोरल बॉन्ड का मकसद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एजी केके वेणुगोपाल ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि चुनावी बॉन्ड का मकसद राजनीतिक वित्तपोषण में कालेधन को समाप्त करना है। चुनाव लड़ने के लिए राजनीतिक दलों को सरकार की ओर से कोई धन नहीं दिया जाता है। राजनीतिक दलों को समर्थकों व अमीर लोगों से बतौर चंदा धन मिलता है। धन देने वाले चाहते हैं कि उनका राजनीतिक दल सत्ता में आए। अगर चंदा देने वालों की पार्टी सत्ता में नहीं आती है तो उन्हें बुरा परिणाम भुगतना पड़ सकता है। इसलिए चंदा देने वालों का नाम गोपनीय रखना जरूरी है।
अबकी बार ‘प्रशांत किशोर’ पर सबकी नजर, चुनावी राजनीति पर कितना डाल पाएंगे असर? दानदाता का नाम सार्वजनिक होना जरूरी
इस मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इस बॉन्ड की खामियों का जिक्र करते हुए अदालत को बताया है कि चुनावी बांड योजना स्वतंत्र और पारदर्शी चुनाव की अवधारणा के विपरीत है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से दाखिल याचिका दायर कर इस बॉन्ड पर रोक लगाई जाए या चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए दानदाता का नाम सार्वजनिक किया जाए।
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