एलओसी पर चार जवान शहीद
बता दें कि मंगलवार को जम्मू एवं कश्मीर के बांदीपोरा के गुरेज सेक्टर की नियंत्रण रेखा की तरफ से आतंकवादियों के एक समूह ने घुसपैठ करने की कोशिश की। पाकिस्तान आतंकियों की घुसपैठ को रोकने की कोशिश के दौरान मुठभेड़ में भारतीय सेना के एक मेजर और तीन जवान शहीद हो गए। घुसपैठ की इस कोशिश को नाकाम कर दिया गया। इस मुठभेड़ में दो आतंकवादी ढेर हो गए।
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घुसपैठ की कोशिश करते दो आतंकी भी मारे गए
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि कि नियंत्रण रेखा के हमारे तरफ उनकी घुसपैठ की कोशिश को देखकर उन्हें चुनौती दी गई। इस मुठभेड़ में दो आतंकवादियों को मार गिराया गया। प्रवक्ता ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर जवानों का ध्यान भटकाने के लिए पाकिस्तान सेना ने संघर्षविराम का उल्लंघन कर आतंकवादियों के लिए कवर फायर किया। सूत्रों ने कहा कि सीमा के सेक्टर पर मुठभेड़ में जुटे जवानों के सहयोग के लिए पैरा कमांडो भी पहुंचे हुए हैं।
3 सालों में कश्मीर में बढ़ी आतंकी घटनाएं:गृह मंत्रालय
बता दें 18 जुलाई को संसद में गृह मंत्रालय द्वारा पेश की गई रपट में इसका खुलासा हुआ कि आतंकवादी हिंसा में 2017 और 2016 से एक कदम आगे बढ़ते हुए 2018 के मात्र छह महीनों में 256 मामले आए हैं। गृहराज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने राज्यसभा को बताया कि हिंसाग्रस्त राज्य में एक जनवरी से आठ जुलाई के बीच घटी 256 घटनाओं में 100 आतंकवादी, 43 सुरक्षाकर्मी और 16 नागरिक मारे गए हैं। आंकड़ों में बताया गया है कि 2017 में 342 और 2016 में 322 आंतकवादी हिंसा की घटनाएं दर्ज की गईं। रिपोर्ट के अनुसार, आतंकवादी हिंसा में 2017 में 213 आतंकवादियों, 80 सुरक्षाकर्मियों और 40 नागरिकों की मौत हुई थी, वहीं 2016 में 150 आतंकवादियों, 82 सुरक्षाकर्मियों और 15 नागरिकों की मौत हुई थी।
9 हमले में 35 जवान शहीद: रक्षा राज्यमंत्री
इससे पहले रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे ने भी राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा जम्मू कश्मीर में सैन्य शिविरों व रक्षा प्रतिष्ठानों पर 2016 से हुए नौ आतंकी हमलों में 35 जवान शहीद हुए और इसके अलावा 15 नागरिकों की मौत हुई। सरकार ने सोमवार को इस बारे में जानकारी दी। इन हमलों में 40 आतंकियों को मार गिराया गया। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2016 में पांच आतंकी घटनाएं हुईं, जबकि 2017 में एक और इस वर्ष अभी तक तीन घटनाएं हुई हैं।