दरअसल ममता बनर्जी हाल में मुंबई के दौरे पर थी। इस दौरे पर ममता ने शिवसेना और राष्ट्रवाती कांग्रेस पार्टी के प्रमुखों से मुलाकात की। इसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं थी कि ममता बनर्जी 2024 में होने वाला आम चुनाव में विपक्ष का चेहरा बनने की तैयारी कर रही हैं।
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Gujarat: पूर्व सांसद जगदीश ठाकोर को मिली प्रदेश कांग्रेस की कमान, 9 महीने बाद पार्टी ने लिया बड़ा फैसला पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी को करारी शिकस्त देने के बाद से ही ममता बनर्जी के हौसले बुलंद है। यही नहीं अब वे विपक्ष का चेहरा बनने का सपना भी संजो रही हैं। यही वजह है कि ममता लगातार इस मिशन जमीनी और मुलाकातों के जरिए अंजाम देने में जुटी है।
एक तरफ ममता बनर्जी कांग्रेस समेत अन्य दलों को नेताओं को पार्टी में शामिल कर टीएमसी के विस्तार में जुटी है वहीं दूसरी तरफ वे विपक्ष दलों के प्रमुखों से मुलाकात अपने पक्ष में माहौल बनाने की भी कोशिशें कर रही हैं।
इसी कड़ी में हाल में ममता बनर्जी मुंबई पहुंची और शिवसेना एवं रांकपा प्रमुखों से मुलाकात की। लेकिन इनकी इस कोशिश को शिवसेना ने बड़ा झटका दिया है। शिवसेना ने मुखपत्र ‘सामना’ (Saamana) में एक लेख में लिखा है ममता बनर्जी के मुंबई (Mumbai) दौरे के कारण विपक्षी दलों (Opposition) की हलचलों में गति आई है।
कम-से-कम शब्दों के हवा के बाण तो छूट रहे हैं। अपने-अपने राज्य और टूटे-फूटे किले संभालने के एक साथ इस पर तो कम-से-कम एकमत होना जरूरी है। इस एकता का नेतृत्व कौन करे यह आगे का मसला है।
सामना में लिखा- पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बाघिन की तरह लड़ीं और जीतीं। ममता ने मुंबई में आकर राजनैतिक मुलाकात की। ममता की राजनीति काग्रेंस उन्मुख नहीं है। बंगाल से उन्होंने कांग्रेस, वामपंथी और बीजेपी का सफाया कर दिया। यह सच है फिर भी कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना यानी मौजूदा ‘फासिस्ट’ राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है।
सामना ने एक तरफ ममता को झटका दिया तो दूसरी तरफ कांग्रेस को भी राहत दी। शिवसेना ने सामने में लिखा कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो, ऐसा मोदी और उनकी पार्टी को लगना तो समझ में आता है, लेकिन मोदी और उनकी प्रवृत्ति के विरुद्ध लड़नेवालों को भी कांग्रेस खत्म हो, ऐसा लगना यह सबसे गंभीर खतरा है।
पिछले दस वर्षों में कांग्रेस पार्टी का पिछड़ना चिंता का कारण है। फिर भी उतर रही गाड़ी को ऊपर चढ़ने नहीं देना है और कांग्रेस की जगह हमें लेना है यह मंसूबा घातक है।
यह भी पढ़ेँः लोकसभा मे CVC, CBI निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने वाला बिल पेश, जानिए विपक्ष ने क्या कहा कांग्रेस को अपनों से ज्यादा खतरासामना में आगे लिखा कि, कांग्रेस को दूसरों के साथ-साथ अपनों से ज्यादा खतरा है। उनके अपने लोग भी उनका गला दबा रहे हैं। इसमें उन्होंने अमरिंदर और गुलाम नबी आजाद जैसे दिग्गज नेताओं का भी जिक्र किया।