पीएम मोदी को शरद पवार की खुली चिट्ठी, बताई कहानी महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री की क्या बोले पवार पवार ने आगे कहा कि उन्होंने अपने इतने लंबे राजनीतिक जीवन में ऐसा राज्यपाल कभी नहीं देखा है। उन्होंने कहा, “मैं राज्यपाल के बारे में क्या कह सकता हूं? केंद्रीय गृह मंत्री ने उनके बारे में बात की है। क्या उनकी टिप्पणी के कारण कार्यालय (राज्यपाल का) की गरिमा बढ़ गई थी? मैं अपने लंबे राजनीतिक जीवन में कई राज्यपालों के सामने आया हूं, लेकिन किसी ने भी इस तरह का रुख नहीं अपनाया है। एक राज्यपाल को कार्यालय की गरिमा को बनाए रखना चाहिए। उनसे सीएम कार्यालय की गरिमा बनाए रखने की भी उम्मीद है।”
स्वाभिमान पर सीख वरिष्ठ नेता ने आगे कहा, “यह अच्छा है कि शाह ने उन्हें फटकार लगाई। मेरा व्यक्तिगत रूप से मानना है कि एक व्यक्ति, जिसके पास स्वाभिमान है, वह केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा सार्वजनिक रूप से फटकार लगाने के बाद पद पर नहीं रहेगा।”
शाह का बयान गौरतलब है कि बीते सप्ताह एक टीवी समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में शाह ने उग्र विवाद पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि राज्यपाल कोश्यारी अपने शब्दों को बेहतर तरीके से चुन सकते थे। शाह ने कहा था, “मैंने पत्र देखा है। उन्होंने एक संदर्भ दिया है। हालांकि, मुझे लगता है कि उन्हें अपने चुने गए शब्दों में अधिक संयमित होना चाहिए था।”
ठाकरे और कोश्यारी के बीच लेटर वार, हिंदुत्व और धर्मनिरपेक्षता है इसका सार कोश्यारी का खत बता दें कि हाल ही में कोश्यारी ने कोरोना वायरस बीमारी (कोविद -19) के प्रकोप के कारण महाराष्ट्र में पूजा के स्थानों को फिर से खोलने के बारे में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या ठाकरे, जो सत्तारूढ़ शिवसेना के अध्यक्ष भी हैं, “अचानक धर्मनिरपेक्ष” हो गए हैं।
ठाकरे का जवाब उनकी टिप्पणी पर सीएम के साथ वाकयुद्ध शुरू हो गया, क्योंकि ठाकरे ने उन्हें याद दिलाया था कि धर्मनिरपेक्षता संविधान के दस सिद्धांतों में से एक है जिसे उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ लेते समय लिया था। एनसीपी सत्तारूढ़ महाराष्ट्र विकास अगाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार का एक हिस्सा है, जिसमें शिवसेना और कांग्रेस भी शामिल हैं।