राष्ट्रवादी कांग्रेस प्रमुख शरद पवार ने अपनी नीति और राजनीतिक समझ से कुछ ऐसे मानक तय किए जिसने देश की राजनीति में उन्हें अलग पहचान दे डाली। इस पहचान के पीछे उनकी अजय पारी भी शामिल है। 55 वर्ष के राजनीतिक अनुभव में शरद पवार 1967 के बाद यानी 53 वर्षों से एक भी चुनाव नहीं हारे हैं। फिर चाहे वो विधानसभा का हो या फिर लोकसभा का।
पवार ने जब चुनाव लड़ा, अपनी सूझ-बूझ और रणनीति के साथ जनता के दिल में जगह बनाई। नतीजा विनर के रूप में सामने आया।
– 1978 जुलाई से फरवरी 1980
– 1988 जून से मार्च 1990
– 1990 मार्च से जून 1991
– 1993 मार्च से मार्च 1995 तीन बार केंद्रीय मंत्री
शरद पवार अब तक के राजनीतिक सफर में चार बार सीएम बने। इसके अलावा पवार तीन बार केंद्रीय मंत्री भी बने। यही नहीं उन्होंने राज्य और केंद्र में विपक्ष के नेता, संसदीय दल के नेता के रूप में कार्य किया और अन्य शीर्ष पदों पर सेवाएं दी। मौजूदा समय में शरद पवार राज्यसभा सांसद हैं।
पवार 2005 से 2008 तक बीसीसीआई (BCCI) के अध्यक्ष भी रहे। जबकि 2010 से 2012 तक इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) के अध्यक्ष भी रहे। जनता की नब्ज पर पकड़
शरद पवार को ऐसे ही राजनीति का पितामह नहीं कहा जाता। इसके पीछे उनकी जनता की नब्ज पर पकड़ बड़ी वजह है। दरअसल पवार ने दो बार ऐसे समय में अपनी चुनावी भाषण से विरोधी माहौल को पक्ष में बदल दिया। 27 वर्ष पहले शरद पवार में लातूर में बारिश के एक रैली की और जनता से रूबरू हुए, नतीजा पार्टी के पक्ष में बंपर वोटिंग के रूप में आया।
यह शरद पवार राजनीति रणनीतियों का ही नतीजा था कि मोदी लहर के बाद महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर भी बीजेपी सरकार नहीं बना पाई। पवार ने मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जैसे भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष कद्दावर नेताओं की नाक के नीचे से सत्ता छीन ली। शिवसेना को तोड़ा और उद्धव ठाकरे को सीएम की कुर्सी पर काबिज कर दिखाया।