हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर आधिकारिक तौर पर बयान जारी करते हुए लिखा, “किसान विरोधी अध्यादेशों और बिल के खिलाफ मैंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। किसानों की बेटी और बहन के तौर पर उनके साथ खड़े होने पर गर्व है।”
शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इससे पहले गुरुवार को लोकसभा में बताया था कि कृषि बिलों के विरोध में केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल अपने पद से इस्तीफा दे देंगी। इसकी वजह यह है कि लोकसभा में केंद्र सरकार ने हरियाणा और पंजाब के किसानों के चौतरफा विरोध के बावजूद कृषि से जुड़े दो और विधेयक पेश कर दिए।
एनडीए में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने इन तीन बिलों में से पहले बिल का विरोध किया था। हालांकि इसे लोकसभा में पारित कर दिया गया। विधेयकों को किसान विरोधी बताया मंत्री हरसिमरत कौर ने सोमवार से शुरू हुए संसद के मानसून सत्र में पेश किए गए कृषि से संबंधित विधेयकों को किसान विरोधी बताया है। प्रधानमंत्री मोदी को सौंपे अपने इस्तीफे में कौर ने लिखा कि उनकी पार्टी और किसान एक-दूसरे के पर्याय हैं और किसानों के हितों से उनकी पार्टी किसी तरह का समझौता नहीं कर सकती।
भाजपा नेताओं के प्रयास बेकार कौर और उनकी पार्टी अकाली दल को मनाने के लिए भाजपा के दिग्गज लगातार कोशिशों में जुटे थे। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिल पाई। बुधवार को पार्टी मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शिरोमणि अकाली दल से कृषि विधेयकों के मामले पर चर्चा किए जाने की पुष्टि भी की थी। नड्डा ने आरोप लगाया था कि कृषि विधेयकों पर भ्रम फैलाया जा रहा है और सहयोगी अकाली दल से पार्टी की चर्चा चल रही है।
उन्होंने आगे कहा था कि जल्द ही विधेयकों को लेकर अकाली दल की गलतफहमियां दूर होंगी। हालांकि भाजपा अध्यक्ष का दावा पूरा नहीं हो सका और कृषि बिलों को किसान विरोधी बताते हुए कौर ने इस्तीफे की घोषणा कर दी।
पहले से ही विरोध में थी अकाली दल कृषि सुधारों से जुड़े तीनों विधेयकों को लेकर शिरोमणि अकाली दल शुरुआत से ही तल्ख तेवर बनाए हुए थी। बुधवार को राज्यसभा के चीफ व्हिप नरेश गुजराल ने पार्टी सांसदों को इस विधेयक के खिलाफ वोटिंग का निर्देश भी दिया था। वहीं, सूत्रों की मानें तो भाजपा ने अपने तीन प्रमुख सांसदों समेत पंजाब की प्रदेश इकाई के एक नेता को चर्चा के लिए लगाया था।