राज्यसभा में कुलभूषण जाधव मामले पर विदेश मंत्री ने पाक सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जाधव बेकसूर हैं और उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने जबरन उनका कबूलनामा लिया है और पाक को उन्हें तुरंत रिहा करना चाहिए। विदेश मंत्री ने कहा कि भारत सरकार जाधव की सुरक्षा और भलाई के लिए हर मुमकिम कदम उठाने के लिए तैयार है।
एस जयशंकर ने कहा कि सरकार जाधव की रिहाई के लिए पूरी कोशिश कर रही है और इसके लिए लीगल टीम से लेकर सभी का आभार जताते हैं। उन्होंने कहा कि सदन को भी इस फैसला का स्वागत करना चाहिए।
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कुलभूषण जाधव मामले में पाकिस्तान को करारा झटका, ICJ ने फांसी पर लगाई रोक, मिलेगा काउंसलर एक्सेस विदेश मंत्री ने कहा कि भारत की जनता और यह सदन जाधव के परिवार के प्रति अपनी पूरी सांत्वना जताते हैं। वहीं, सभापति ने कहा कि इस फैसले में खुश हूं। वकील हरीश साल्वे ने बगैर फीस के केस लड़ने का फैसला किया और अब हम सभी को कुलभूषण की रिहाई का इंतजार है।
गौरतलब है कि बुधवार को इंटरनेशनल कोर्ट ( ICJ ) ने जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के मामले में रोक लगाते हुए भारत के पक्ष में फैसला सुनाया था।
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कुलभूषण जाधव केस सिर्फ एक रुपया में जीता भारत, पाकिस्तान ने खर्च किए 20 करोड़ अदालत के 16 जजों ने 15-1 के बहुमत से कुलभूषण की फांसी की सजा निलंबित कर दी। कोर्ट के अध्यक्ष जस्टिस अब्दुलकावी अहमद यूसुफ ने कहा कि जब तक पाकिस्तान प्रभावी ढंग से फैसले की समीक्षा और उस पर पुनर्विचार नहीं कर लेता, फांसी पर रोक जारी रहेगी।
यहां आपको बता दें कि भारत ने मई 2017 में आईसीजे के सामने यह मामला उठाया था। भारत ने पाकिस्तान पर जाधव को काउंसलर न मुहैया करवाने का आरोप लगाया था। भारत ने जाधव के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के ट्रायल को भी चुनौती दी। आईसीजे ने 18 मई 2017 को पाकिस्तान पर जाधव के खिलाफ फैसला आने तक किसी भी तरह की कार्रवाई किए जाने को लेकर रोक लगा दी थी।
फरवरी में अंतर्राष्ट्रीय अदालत ने इस मामले में चार दिन सुनवाई की थी। इस दौरान भारत-पाकिस्तान ने अपनी-अपनी दलीलें दीं। भारत ने अपने केस का आधार दो बड़ी बातों को बनाया। इनमें वियेना संधि के अंतर्गत काउंसलर एक्सेस और मामले को हल करने की प्रक्रिया शामिल है।
ICJ में कुलभूषण जाधव का मामला करीब 2 साल और 2 महीने तक चला। भारत 8 मई 2017 को आईसीजे पहुंचा था और पाकिस्तान पर वियेना संधि की शर्तों के घोर उल्लंघन का आरोप लगाया था।