कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि मोदी सरकार आपदा के समय में भी गरीबों से मुनाफा वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। आपको बता दें कि राहुल गांधी पिछले कुछ दिनों रोजाना ट्वीट के जरिए मोदी सरकार को घेर रहे हैं।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने शनिवार को एक बार फिर ट्वीट किया। इस ट्वीट में उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला भी दिया। इस रिपोर्ट के जरिए राहुल ने मोदी सरकार पर बड़ा आरोप लगाया। राहुल ने कहा आपदा के इस वक्त में भी मोदी सरकार गरीबों से मुनाफा वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
राहुल ने कहा कि देश में बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं बावजूद इसके इंडियन रेलवे मुनाफा कमाने में जुटी है। राहुल गांधी ने जिस रिपोर्ट का हवाला दिया उसमें बताया गया है कि कोरोना काल में भारतीय रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों ( Shramik Special Train ) से 428 करोड़ रुपए की कमाई की है।
ये राहुल का ट्वीट
राहुल ने अपने ट्वीट में ये लिखा- बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं, लोग मुसीबत में हैं, बेनिफ़िट ले सकते हैं – आपदा को मुनाफे में बदल कर कमा रही है गरीब विरोधी सरकार।
प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए चलीं श्रमिक ट्रेन
आपको बता दें कि कोरोना वायरस संकट के बीच 25 मार्च को लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों ने अपने घरों की ओर पलायन शुरू कर दिया था।
कोई साधन ना मिलने की वजह से लाखों की संख्या में लोग सड़कों पर पैदल ही निकल पड़े थे। ऐसे में दिल्ली, मुंबई, झारखंड, बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लाखों प्रवासी मजदूर फंस गए थे।
ऐसे ही फंसे हुए प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू की थीं। इन ट्रेनों के जरिए प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक ले जाया जा रहा था।
किराए को लेकर सामने आया था विवाद हालांकि इस दौरान किराए को लेकर भी बड़ा विवाद खड़ा हो गया था। कई प्रवासी मजदूरों ने शिकायत की थी कि उनसे किराए के नाम पर काफी पैसा मांगा जा रहा है।
हालांकि कुछ राज्यों ने पूरा खर्च उठाने की बात कही थी, लेकिन कुछ राज्यों ने किराया वसूला था। इनमें गुजरात, दिल्ली और मुंबई से लौट रहे मजदूरों ने शिकायत भी की थी कि लौटते वक्त उनसे किराया मांगा गया।
केंद्र सरकार ने किया दावा
वहीं इस पूरे विवाद के बीच केंद्र सरकार ने भी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था श्रमिक ट्रेनों का 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार ही उठा रही है जबकि 15 फीसदी सिर्फ राज्यों को देना है। श्रमिकों से पैसा नहीं लिया जा रहा है।