जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटे करीब दो साल होने वाले हैं। इस बीच गुरुवार को पीएम मोदी जम्मू-कश्मीर के क्षेत्रीय दलों के साथ बैठक करेंगे। संभावना है कि केंद्र राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर चर्चा कर सकता है। दरअसल, 5 अगस्त 2019 में केंद्र ने जब यहां राष्ट्रपति शासन लागू किया था तो उस वक्त भी केंद्रीय नेतृत्व ने वादा किया था कि घाटी में स्थिति ठीक होते ही राज्य का दर्जा दोबारा बहाल कर दिया जाएगा।
बैठक से पहले राजनीतिक दलों ने अपना एजेंड साफ कर दिया है। राजनीतिक पार्टियों ने कहा है कि वे बैठक में विशेष दर्जा दोबारा देने का अपना एजेंडा केंद्र के सामने रखेंगी। केंद्र राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर चर्चा कर सकता है।
बैठक में पीएम मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, एनएसए अजित डोभाल, पीएम के प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा, गृहसचिव अजय भल्ला के अलावा कुछ अन्य अधिकारी बैठक में शामिल रह सकते हैं।
पीएम मोदी के साथ बैठक में पूर्व चार मुख्यमंत्री नेशनल कांफ्रेंस के फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती के अलावा गुलाम अहमद मीर, ताराचंद, बीजेपी के निर्मल सिंह, कविन्द्र गुप्ता और रविन्द्र रैना, पीपुल कांफ्रेंस के मुजफ्फर बेग और सज्जाद लोन, पैंथर्स पार्टी के भीम सिंह, सीपीआईएम के एमवाई तारीगामी और जेके अपनी पार्टी के अल्ताफ बुखारी को बैठक में आमंत्रित किया गया है।
इस बैठक के साथ ही सूबे में परिसीमन की प्रक्रिया की शुरुआत भी हो सकती है। हालांकि परिसीमन की प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो सकती है। दरअसल परिसीमन के बाद नया वोटर लिस्ट तैयार करने और उसमें करेक्शन के बाद ही जम्मू कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया शुरू हो पाएगी। यानी चुनाव में अभी एक वर्ष तक का समय लग सकता है।
प्रधानमंत्री के साथ जम्मू-कश्मीर के नेताओं की बैठक से पहले राज्य में 48 घंटे का अलर्ट जारी किया गया है। इस दौरान हाई स्पीड इंटरनेट सेवाएं बंद रखी जा सकती हैं।