कांग्रेस सहित प्रमुख दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही का प्रभावी तरीके से संचालन के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को एक बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम, तेलंगाना राष्ट्र समिति और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
Chirag Paswan की चिट्ठी से बिहार एनडीए में घमासान, नीतीश का नेतृत्व एलजेपी को पसंद नहीं सीमा विवाद के मुद्दे पर राजनाथ देंगे बयान पक्ष और विपक्ष के बीच हुई इस बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि शुक्रवार या शनिवार को सदन की दूसरी बैठक आयोजित की जाएगी। उक्त बैठक में पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी के साथ भारत-चीन सैन्य गतिरोध के मुद्दों को रखा जा सकता है। बैठक में भाग लेने वाले एक कांग्रेसी नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हम पहले राजनाथ सिंह के बयान को सुनेंगे और फिर अपनी अगली रणनीति तय करेंगे।
देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्षी दलों के नेताओं से कहा कि वह गुरुवार को राज्यसभा में दोपहर 12 बजे भारत-चीन सीमा मुद्दे पर एक बयान देंगे। लेकिन सरकार इस मुद्दे पर खुली बहस के पक्ष में नहीं है।
पक्ष और विपक्ष के बीच हुई सार्थक बातचीत सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस तरह तालमेल को लेकर बैठक लंबे अरसे बाद हुई है। इससे पहले नवंबर, 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन मंत्री अरुण जेटली और एम वेंकैया नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के साथ जीएसटी बिल के पारित होने का रास्ता खोजने के लिए मुलाकात की थी।
सांसदों के वेतन में 30 फीसदी कटौती, Lok Sabha में पारित हुआ विधेयक 7 अध्यादेशों पर केंद्र को मिला विपक्ष का साथ बैठक में विपक्षी दलों ने भी 7 अध्यादेशों के समर्थन का आश्वासन दिया। साथ ही विपक्ष ने कृषि संबंधी बिल और बैंकिंग विनियमन संशोधन सहित तीन विधेयकों को समीक्षा के लिए चुनिंदा पैनलों के भेजने की मांग की हैं लेकिन सत्ता पक्ष के नेता विपक्ष की इस राय से सहमत नहीं दिखे।
कांग्रेस के नेता अर्थव्यवस्था और नौकरी के नुकसान पर बहस की मांग कर रहे थे। इस बात के लिए दबाव राज्यसभा के मुख्य सचेतक व पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने डाला था।