पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से गठित समिति के एक सदस्य ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में जहां विविधतापूर्ण सामाजिक-आर्थिक स्थिति हैं वहां सभी राज्यों खासतौर पर शिक्षा के प्राथमिक तथा माध्यमिक स्तर पर एक समान मानक लागू नहीं किए जा सकते।
Boder Dispute : पैंगोंग झील के पास भारत और चीन के सैनिकों के फिर हुई झड़प, घुसपैठ की कोशिश नाकाम समिति के सदस्य ने कहा कि नई शिक्षा नीति ( New education policy ) की कुछ विशेषताओं में स्पष्टता नहीं है, जिनमें कक्षा दसवीं के बोर्ड की परीक्षाओं के प्रारूप को फिर से तैयार करना और प्राथमिक विद्यालयों में सुधार करने की बात शामिल हैं।
सभी राज्यों की भाषाई, सांस्कृतिक, क्षेत्रीय विविधिताओं और परंपराओं का ध्यान रखे बिना एक समान शिक्षा नीति लागू नहीं कर सकते। कहने का मतलब यह है कि जो मणिपुर में लागू हो सकता है या जो पंजाब में प्रासंगिक है, हो सकता है कि उसका पश्चिम बंगाल या तमिलनाडु से कोई मतलब ही न हो।
Bihar Assembly Election : शरद यादव जेडीयू में कर सकते हैं वापसी, इस रणनीति पर काम कर रहे हैं नीतीश शिक्षा समवर्ती सूची का विषय आपको बता दें कि नई शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के लिए केंद्र सरकार ने 2030 तक का लक्ष्य रखा है। चूंकि शिक्षा संविधान में समवर्ती सूची का विषय है जिसमें राज्य और केंद्र सरकार दोनों का अधिकार होता है। इसलिए राज्य सरकारें पूरी तरह माने ये ज़रूरी नहीं है।
गौरतलब है कि इससे पहले 1986 में शिक्षा नीति लागू की गई थी। 1992 में कांग्रेस सरकार ने संशोधित शिक्षा नीति लागू की थी। अब 34 साल बाद देश में एक नई शिक्षा नीति लागू हुई है।