प्रचार की आक्रामक शैली
भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलाने के लिए पीएम मोदी ने 2014 की तरह ही प्रचार को ही इस बार सबसे बड़ा हथियार बनाया। प्रचार में विकास से ज्यादा उन मुद्दों को छेड़ा जो लोगों के दिलों को छू जाएं। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा रही सेना। बालाकोट पर हमले से लेकर एयर स्ट्राइक तक मोदी ने पार्टी के प्रचार में इसका जमकर इस्तेमाल किया। कांग्रेस इस मुद्दे को समझ नहीं पाई। बल्कि भाजपा ने सेना पर उठने वाले सवालों को कांग्रेस पर ही केंद्रीत कर दिया। नतीजा लोगों के बीच संदेश गया कि कांग्रेस सेना के पराक्रम पर ही सवाल कर रही है। खुद ही के मुद्दे पर उलझाने वाली भाजपा की इसी चाल रूपी आंधी को कांग्रेस समझ नहीं पाई और उड़ गई…
भाजपा की आंधी के कारणों में इस बार भी मोदी बड़ा चेहरा थे। लिहाजा मोदी की रैलियों के लिए पार्टी ने पहले रही सर्वे किया और इस आधार पर उनकी रैलियां आयोजित की गईं। मोदी ने ताबड़तोड़ 100 से ज्यादा रैलियां कीं। रैलियों में मोदी के टारगेट पर वो राज्य थे, जिसके रास्ते उन्हें लोकसभा पर फतह हासिल करनी थी। इनमें उत्तर प्रदेश, प.बंगाल, ओडिशा प्रमुख रूप से शामिल थे। मोदी ने यहीं पर सबसे ज्यादा और व्यापक रैलियां कीं। भाजपा की यही रणनीतिक रूपी आंधी कांग्रेस समझ नहीं पाई और उड़ गई…
कांग्रेस को चारों खाने चित करने वाली भाजपा की आंधी में सोशल प्लेटफॉर्म का भी बड़ा रोल रहा। कांग्रेस ने जैसे पीएम मोदी को ‘चौकीदार चोर’ कहकर पोस्टर बैनर टांगना शुरू किए। मोदी ने तुरंत अपने ट्विटर अकाउंट पर खुद को चौकीदार नरेंद्र मोदी लिखकर इस अभियान की हवा ही निकाल दी। मोदी के देखते ही देखते सभी मोदी समर्थक इस अभियान से जुड़ गए। यहीं से कांग्रेस की हार और मोदी के दोबारा आने का रास्ता खुला। जनता को कांग्रेस की ओर से बार बार पीएम को चौकीदार चोर कहना ठीक नहीं लगा। नतीजा भाजपा की आंधी, कांग्रेस समझ नहीं पाई और उड़ गई…
एक तरफ भाजपा ने दोबारा सत्ता में आने के लिए अपने फायर ब्रांड मोदी पर दांव खेला तो दूसरी तरफ विपक्ष के पास चेहरे का अभाव दिखा। कांग्रेस भले ही बड़ी पार्टी के रूप में सामने थी, लेकिन विपक्ष की एकजुटता पूरे चुनाव में देखने को नहीं मिली। कभी बड़ा चेहरा राहुल गांधी बने तो कभी इशारा मायावती, कभी चंद्रबाबू नायड़ू तो कभी ममता बनर्जी जैसे चेहरे लोगों को कन्फ्यूज करते रहे। चुनाव के अंतिम दौर तक विपक्ष कोई बड़ा चेहरा जनता के सामने प्रस्तुत नहीं कर पाया। भाजपा के लिए ये रामबाण का काम कर गया। नतीजा भाजपा की आंधी कांग्रेस समझ नहीं पाई और उड़ गई…
पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी हिंदीभाषी राज्यों में जाति के आधार पर पार्टियों को मिलने वाले वोटों को साधने में कामयाब रहे थे। इस बार भी उन्होंने अपने इसी आधार को और मजबूती दी और पकड़ ढीली नहीं पड़ने दी। हालांकि जवाब देने के लिए कांग्रेस समेत विपक्ष ने कोशिश जरूर की। सपा-बसपा ने महागठबंधन कर माहौल भी बनाया लेकिन ये जनता के गले नहीं उतरा। कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारकर प्रचार की कमान सौंपी लेकिन प्रभावी साबित नहीं हुई। मोदी मैजिक के आगे इनका ये समीकरण भी पूरी तरह फेल साबित हुआ। उममीद थी कि इस बार यूपी में भाजपा का प्रदर्शन बिगड़ेगा लेकिन मोदी-शाह की रणनीति ने भाजपा को एक बार फिर बड़ा जनाधार यहीं से दे दिया। ये भी भाजपा की आंधी ही साबित हुआ जिसे कांग्रेस समझ नहीं पाई और उड़ गई…
पिछली बार की तरह इस बार भी मोदी ने लोगों को विकास के रूप मे नए भारत का संकल्प दिया। इस संकल्प को लोगों ने हाथों-हाथ लिया। मोदी के मिशन 2022 यानी देश की आजादी की 75वीं सालगिरह तक नए भारत का सपना लोगों ने देखना शुरू कर दिया। मोदी की इसी सपने को जनता ने वोटों में तब्दील किया और रफाल, ईवीएम-वीवीपैट, जीएसटी, नोटबंदी जैसे विपक्ष के सभी मुद्दे धराशायी साबित हुए। भाजपा ने इस बार नए भारत की आंधी चलाई जो कांग्रेस समझ नहीं पाई और उड़ गई…