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आडवाणी आते हैं मिलने
दरअसल, मानवेंद्र का पत्र एक समाचार पत्र ने प्रकाशित किया है। पत्र में मानवेंद्र ने कहा है कि मेरे पिता जसवंत सिंह अब उस हालत में पहुंच गए हैं, जब वह कहीं आ-जा नहीं सकते। कुछ नजदीकी लोग और करीबी दोस्त उनसे मिलने घर आते हैं। ऐसे दोस्तों में अकेले लालकृष्ण आडवाणी हैं जो नियमित रूप से पिता का हालचाल पूछने आते हैं। पिता को देखकर उनकी आंखें छलक उठती हैं। अब वो ऐसी स्थिति में भी नहीं हैं कि उनसे कोई बात कर सके। मेरे पिता अब पूरी तरह से अटल बिहारी वाजपेयी की स्थिति में आ चुके हैं।
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अब नहीं संजीवनी
उन्होंने आगे लिखा कि मेरे पिता अपने राजनीतिक दौर के अंतिम दिनों में काफी प्राइवेसी बरतने लगे। सियासी सफर के आखिरी पड़ाव पर मेरे पिता बाड़मेर का प्रतिनिधित्व करना चाहते थे मगर वह नहीं कर सके। इस बात का उनको भारी कष्ट पहुंचा था। लक्षमण की तरह उनके इस कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए अब कोई संजीवनी नहीं है। उन्होंने आगे लिखा कि अटलजी के हनुमान अब उड़ नहीं सकते। बता दें कि मानवेंद्र सिंह राजस्थान से विधायक भी हैं।