मौजूदा सरकार में विधायक और जेजेपी के उपाध्यक्ष गौतम ने इस संबंध में बताया, “मैंने पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है।” हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं। उन्होंने आगे कहा, “मैं इस बात से दुखी नहीं हूं कि मुझे मंत्री नहीं बनाया गया, बल्कि इस बात से दुखी हूं कि यह बात मुझे बाद में पता चली कि गठबंधन के लिए बैठक गुरुग्राम के एक मॉल में हुई थी।”
उन्होंने बताया कि चौटाला के पास कैबिनेट के 11 पोर्ट फोलियो है जिन्हें वह पार्टी के विधायकों में बांट सकते हैं, और उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह पार्टी के उप-मुख्यमंत्री उनके दल के विधायकों की सहायता से ही बने थे।
बता दें कि हरियाणा विधानसभा चुनाव में गौतम ने पूर्व भाजपा सरकार में मंत्री रहे कैप्टन अभिमन्यु को नारनौंद विधानसभा सीट से शिकस्त दी थी। गौतम ने बताया, “दुष्यंत चौटाला अपने परिवार के बुजुर्गों के नक्शेकदम पर चलते हुए सबसे बड़े जाट नेता बनना चाहते हैं। मेरे पास 36 जातियों का समर्थन है। वह और तरक्की कर सकते थे अगर उन्होंने मुझे मंत्री बनाया होता। वह 11 मंत्रालयों को संभालते हैं। बाकी विधायक कहां जाएंगे।”
राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक चौटाला के नाम के आगे 10 विभाग लिखे हुए हैं, जिनमें कई अन्य विभागों के साथ एक्साइज एंड टैक्सेशन, इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स भी शामिल हैं। गौरतलब है कि 90 सीटों वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा को 40 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में 31 सीटें आई थीं। भाजपा ने इसके बाद चौटाला की नव-निर्मित JJP से गठबंधन किया था, जिसे 10 सीटें मिली थीं।