तमाम एग्जिट पोल तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने की ओर इशार कर रहे हैं, हालांकि ये कितने सही साबित होंगे इसके लिए कुछ वक्त और इंतजार करना होगा। लेकिन तेजस्वी को यहां तक लाने में जिस शख्स की अहम भूमिका रही है वो हरियाणा से ही है। आईए जानते हैं कैसे हरियाणा के कनेक्शन ने बिहार चुनाव में कमाल किया है।
बिहार चुनाव में जब महिलाओं ने किया ज्यादा मतदान तो इन दलों को मिला फायदा, जानें कैसा रहा पिछला परिणाम बिहार चुनाव में एनडीए को सीधे टक्कर दे रहे तेजस्वी यादव का डंका बज रहा है। आरजेडी ने तो उनके सीएम बनने की घोषणा तक कर डाली है, एग्जिट पोल भी कुछ इस तरह का इशारा कर रहे हैं। लेकिन इन सबके बीच तेजस्वी की जनता के बीच इमेज बनाने और उनके जीत के अवसर बढ़ाने के पीछे जिस शख्स का हाथ रहा है वो हैं संजय यादव। संजय यादव हरियाणा के रहने वाले हैं और पिछले 10 वर्षों से तेजस्वी के साए के रूप में उनके साथ हैं।
तेजस्वी सरकार चाही..
तेजस्वी सरकार चाही..ये नारा इन दिनों बिहार की गली-गली में गूंजता सुनाई दिया। इसके पीछे जिस शख्स की रणनीति काम कर रही थी, वो हैं संजय यादव। 37 वर्षीय संजय यादव हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के नांगल सिरोही गांव के रहने वाले हैं।
तेजस्वी और संजय की मुलाकात साल 2010 में दिल्ली में हुई थी। तेजस्वी यादव 10 साल पहले आईपीएल में दिल्ली डेयरडेविल्स की तरफ से अपनी किस्मत आजमा रहे थे उस दौरान वे संजय से मिले और फिर राजनीति की पिच पर दोनों ने जोरदार प्रदर्शन किया।
थिंक टैंक के रूप में संजय यादव तेजस्वी को सियासी पिच पर बैटिंग के गुर सिखाते चले गए और तेजस्वी 2015 में बेहतरीन प्रदर्शन के साथ उपमुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए।
पोस्टर से लालू-राबड़ी की दूरीहरियाणामैन ने इस चुनाव में तेजस्वी के लिए एक अलग ही माहौल तैयार करना पहले दिन से ही शुरू कर दिया था। इसी रणनीति के जरिए संजय यादव ने बिहार चुनाव में प्रचार के दौरान आरजेडी के पोस्टरों से लालू यादव और राबड़ी जैसे दिग्गजों को दूर रखा।
इसका सीधा फायदा तेजस्वी को हुआ और युवाओं ने तेजस्वी को खूब पसंद किया। मतदान में भी इसका असर देखने को मिला।
मुद्दों पर संजय की मुहरइस बार भी तेजस्वी के रोजगार के मुद्दे से लेकर युवाओं की समस्याओं तक हर रणनीति के पीछे संजय यादव की सोच थी। जब एनडीए के दिग्गज और आईटी सेल बैठकर जंगलराज और लालू राज जैसे स्लोगन को ट्रेंड करा रहे थे, तब संजय अकेले इन लोगों की रणनीति पर पानी फेरने की तैयारी कर रहे थे।
कांग्रेस को सता रहा है इस बात का डर, सोनिया ने दो दिग्गज नेताओं को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी इसमें पीएम मोदी को टारगेट नहीं करना, रोजगार को आगे रखना, युवाओं को प्राथमिकता देना जैसी चीजें शामिल रहीं।