आपको बता दें कि मनसुख वसावा की आदिवासी वर्ग में खासी पैठ है। ऐसे में उनके से इस्तीफे से माना जा रहा था कि बीजेपी को प्रदेश में बड़ा नुकसान हो सकता है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस को लगा बड़ा झटका, प्रदेश महासचिव ने सोनिया गांधी को लिखे खत में किया चौंकाने वाला खुलासा 45 मिटन की मुलाकात में माने मनसुख
मुख्यमंत्री विजय रुपाणी से मुलाकात के बाद मनसुख वसावा ने अपना इस्तीफा वापस लेने का फैसला कर लिया है। दोनों नेताओं की करीब 45 मिनट तक मीटिंग चली। इसके बाद मनसुख वसावा ने बीजेपी छोड़ने का अपना निर्णय वापस ले लिया है।
मनसुख वसावा ने इस्तीफे का फैसला ऐसे वक्त में लिया था जब पिछले एक महीने से वो इको-सेंसिटिव जोन और आदिवासी लड़कियों की खरीद-फरोख्त को लेकर बीजेपी आलाकमान को लगातार अवगत करा रहे थे। उनकी मांग थी कि इन मुद्दों को तुरंत सुलझाया जाए। पार्टी की ओर से खास तवज्जो ना मिलने पर नाराज वसावा ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।
आपको बता दें कि गुजरात के कद्दावर नेताओं में मनसुख वसावा की गिनती की जाती है। वे 6 बार लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। 64 वर्षीय मनसुख वसावा ने 1994 में सबसे पहले विधानसभा का चुनाव जीतकर अपने तेवर साफ कर दिए थे।
इस दौरान उन्हें गुजरात सरकार में डिप्टी मिनिस्टर भी बनाया गया था। यही नहीं पिछली मोदी सरकार में भी वे केंद्रीय राज्यमंत्री का पद संभाल चुके हैं। हालांकि 2019 के चुनाव जीतने के बाद वे मोदी मंत्रिमंडल में जगह बनाने में कामयाब नहीं हो सके।
किसान आंदोलन के बीच बीजेपी की बड़ी हार, इस राज्य के चुनाव में मिली करारी शिकस्त इसलिए जरूरी था डैमेज कंट्रोलदरअसल गुजरात में भी जनवरी महीने में निकाय चुनाव होना है। ऐसे में बीजेपी किसी भी कीमत पर पार्टी के लिए कोई डैमेज नहीं चाहती है। यही वजह है कि दिग्गज नेता को मनाकर चुनाव से पहले पार्टी ने डैमेज कंट्रोल कर लिया है।