किस राज्य से किसे नहीं किया गया शामिल
विपक्षी दलों ने लोकसभा के मद्देनजर महागठबंधन बनाने में जिन पार्टियों को शामिल नहीं किया है। उनमें उत्तर प्रदेश से बहुजन समाज पार्टी, उड़ीसा से बीजू जनता दल, आंध्र प्रदेश से युवाजना श्रामिका रैतु कांग्रेस पार्टी (YSR कांग्रेस) और तेलंगाना से भारत राष्ट्र समिति है। इनमें से बसपा को छोड़ सभी पार्टियां अपने अपने राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार चला रही है। बसपा भले पिछले 11 साल से UP की सत्ता से बाहर हो लेकिन वह देश की प्रमुख राष्ट्रीय पार्टियों में से एक है और उसका देश के दलित वोटरों में अच्छा खासा प्रभाव है। 80 सीटों वाले UP में बसपा वोट शेयर के लिहाज से बीते लोकसभा चुनाव में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी रही है।
राजनीति के जानकार मानते है कि इन चारों दलों को महागठबंधन से दूर रखने का कारण विपक्ष इन पार्टियों की भाजपा से नजदीकी को मानता है। इसके पीछे कारण है कि भले ही ये दल तटस्थ दिखते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर भाजपा के साथ जाते है। इन दलों की वजह से भाजपा को कई अहम विधेयकों को पारित कराने में मदद मिल जाती है।
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अगर हम राज्य के हिसाब से देखे तो तेलंगाना में केसीआर की पार्टी ने 2019 में 17 में से 9 सीटें जीती थीं। 4 भाजपा के हाथ आई थीं और 3 पर कांग्रेस को जीत मिली थी। इस तरह तेलंगाना की सबसे बड़ी पार्टी बीआरएस है और अब यदि कांग्रेस उसके साथ नहीं आती है तो फिर स्वतंत्र रूप से चुनाव के बाद केसीआर किसी भी पाले में जा सकते हैं। यही स्थिति आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी और ओडिशा में नवीन पटनायक की है। दोनों ही नेता अपने राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकार चलाते हैं और जरूरत पड़ने पर भाजपा के साथ भी जाते रहे हैं।