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दरअसल, दिल्ली पुलिस को इस बार चिंता थी कि पिछली बार 26 जनवरी को जिस तरह से किसान बेकाबू हुए थे और लाल किले के प्राचीर में चढ़ गए थे, कहीं इस बार भी संसद की ओर किसान बेकाबू होकर न बढ़ जाए। लिहाजा, बुधवार को किसान संगठनों के साथ बातचीत करने के बाद शर्तों के साथ जंतर-मंतर में ‘किसान संसद’ आयोजित करने की अनुमति दे दी है।भूमाफिया बन गया है चीन, दुनियाभर में 64 लाख हेक्टेयर जमीन पर किया ‘कब्जा’
मालूम हो कि कुछ दिन पहले ही किसान नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया था कि 22 जुलाई से संसद के बाहर हम ‘किसान संसद’ चलाएंगे। हर दिन 200 किसान उस संसद में हिस्सा लेंगे। चूंकि, 19 जुलाई से संसद के मानसून सत्र की शुरुआत हो चुकी है, जो कि 13 अगस्त तक चलेगी। संसद की कार्यवाही के बीच किसानों का यह ‘किसान संसद’ काफी अहम माना जा रहा है।– हर संगठन से सिर्फ 5-5 सदस्य ही इसमें शामिल होंगे। हर सदस्य की पहचान पहले की जाएगी।
– दिल्ली के अलग-अलग सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसान सुबह 8 बजे सिंघु बॉर्डर के लिए चलेंगे।
– सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा होने के बाद 5 बसों में किसान जंतर मंतर की तरफ 10 बजे रवाना होंगे।
– सिंघु बॉर्डर के अलावा अन्य जगह से कोई किसान जंतर-मंतर नहीं आएगा।
– 200 किसानों को लेकर जाने वाली बसों के साथ-साथ पुलिस की गाड़ी भी चलेगी।
– जंतर मंतर पर भी बैठने की जगह सुनिश्चित की जाएगी। यहां पर कोविड के सभी नियमों का पालन किया जाएगा।
– ‘किसान संसद’ से लगातार किसानों को संबोधित किया जाएगा।
– शाम पांच बजे ‘किसान संसद’ खत्म होने के बाद सभी किसानों को उन्हीं बसों में वापस सिंघु बॉर्डर पर छोड़ा जाएगा।
– इस दौरान भी किसानों के बसों पर पुलिस की कड़ी निगरानी रहेगी।
– करीब 40 संगठनों के 5-5 सदस्य किसान संसद में हर दिन शामिल होंगे। इन पांचों में से एक को अपने ग्रुप को संभालने की जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी।