सवाल- कहा जा रहा है कि अग्निपथ योजना से सेना में रेगुलर भर्तियों के दरवाजे धीरे-धीरे बंद हो जाएंगे जवाब- नहीं ऐसा नहीं है। रेगुलर भर्ती तो अभी भी होगी, लेकिन तरीका अलग हो गया है। अब औसतन चार अग्निवीर में से एक को सेना में रेगुलर रखा जाएगा और उसे आगे 15 साल का सेवा विस्तार मिलेगा। पहले एक इम्तहान पास कर परमानेंट सैनिक बन जाते थे, अब समझिए दो इम्तहान से गुजरना पड़ेगा। एक बार अग्निवीर बनना होगा। फिर सेना अग्निवीरों में सर्वश्रेष्ठ सैनिक चुनकर उन्हें रेगुलर करेगी। हर वर्ष 25 प्रतिशत अग्निवीरों को सेना में रखा जाएगा। नई प्रक्रिया में 4 साल अग्निवीर रहने वाले युवा को जब 15 साल का सेवा विस्तार मिलेगा तो उसकी कुल 19 साल की सर्विस हो जाएगी। जबकि वर्तमान में एक सैनिक की सर्विस 17 साल ही है। इस प्रकार नई व्यवस्था से युवाओं को ज्यादा लाभ है। अग्निपथ योजना लागू होने पर पहले से तीन गुना भर्तियां भी होंगी तो ज्यादा युवाओं को मौका मिलेगा।
सवाल-अग्निवीरों के सेवानिवृत्ति के बाद भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं जवाब- 75 प्रतिशत अग्निवीर 4 साल का सेवाकाल पूरा कर समाज में वापस आएंगे। सेना में रहते युवाओं को बढ़िया एक्सपोजर मिलेगा। 4 साल बाद उनका सबसे शानदार करियर शुरू होगा। जिस समय लोग कॉलेज में होते हैं, लोन ले रहे होते हैं, तब 17 साल में सेना में जाकर एक युवा ट्रेनिंग के साथ डिग्री भी लेगा और रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली अच्छी धनराशि से कोई व्यवसाय कर सकता है या फिर रक्षा, गृह मंत्रालय में 10 प्रतिशत कोटे की आरक्षित नौकरियां भी चुन सकेगा।
सवाल- अग्निपथ के खिलाफ राजस्थान में गहलोत सरकार ने प्रस्ताव पास कर केंद्र से इसे वापस लेने की मांग की है। जवाब- यह गिरती राजनीति का उदाहरण है। राष्ट्रनीति को दरकिनार करते हुए खुद की राजनीति चमकाई जा रही है।
सवाल- अग्निपथ योजना से आक्रोशित युवाओं से क्या अपील करना चाहेंगे? जवाब- 90 दिन के अंदर तीनों सेनाओं में भर्तियां शुरू हो रहीं हैं। सभी नौजवान तैयारी पर ध्यान दें। नेताओं के बहकावे में न आएं और उन्हें नाटक करने दें। सेना भर्ती से पहले पुलिस वेरिफिकेशन होता है। इस नाते कोई ऐसा काम न करें, पुलिस केस में नाम आए। इससे करियर बर्बाद हो सकता है। जो अग्निवीर बन गए, उसकी लाइफ बन जाएगी।
सवाल- कहा जा रहा है कि रिटायरमेंट के बाद अग्निवीर बेरोजगारी का सामना करेंगे तो समाज के लिए चुनौती खड़ी कर सकते हैं? जवाब- यह बेबुनियाद आशंका है। दूसरे देशों की तरह अपने देश में भी लंबे समय से युवाओं की सैन्य ट्रेनिंग की मांग उठती रही है। अग्निपथ योजना के तहत सेना की ट्रेनिंग से युवाओं में देशभक्ति और अच्छे नागरिक के गुण विकसित होंगे। जब 4 साल का कार्यकाल पूरा कर 75 प्रतिशत अग्निवीर समाज में वापस जाएंगे तो उसका लाभ हर जगह दिखेगा। देश को अनुशासित और कुशल नागरिक मिलेंगे। सेना में रहने से युवाओं के व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास होगा। ऐसी ट्रेनिंग किसी और सेक्टर में नहीं मिल सकती। सच पूछा जाए तो अग्निवीर बनकर 4 साल बाद जो युवा निकलेंगे, वे हर सेक्टर के लिए योग्य होंगे।
सवाल- अभी तो कई बार पूर्व सैनिकों कोदूसरे सेक्टर में नौकरियां मिलने में दिक्कत होती है, ऐसे में सिर्फ 4 साल की ट्रेनिंग वाले अग्निवीरों को नौकरी की क्या गारंटी है? जवाब- जब 35 वर्ष की उम्र में कोई व्यक्ति सेना छोड़कर दूसरे सेक्टर में नौकरी तलाशने जाता है तो कई बार उम्र के कारण उसे चुनौती का सामना करना पड़ता है। लोग मानते हैं कि अधिक उम्र में कोई व्यक्ति नए पेशे के हिसाब से ढलने में ज्यादा समय लेता है। जबकि अग्निवीरों के सामने ऐसी दिक्कत नहीं है। 22-24 साल की उम्र में अडैप्टिबिलिटी(अनुकूलन क्षमता) ज्यादा होती है। कम उम्र के युवाओं का हर सेक्टर स्वागत करेगा।