पेश हैं उनसे बातचीत के कुछ प्रमुख अंश-
किस आधार पर जनता के बीच वोट मांगने जाएंगे?
मुझे इस बात का बेहद संतोष है कि मैंने सांसद रहते पूरे मुरैना जिले के अमूलचूल बदलाव के लिए एक कोने से दूसरे कोने तक सभी क्षेत्रों के विकास के लिए जो काम किया है। उसका असर सभी लोगों में देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि वो भारतीय जनता पार्टी को तो पसंद करते हैं, लेकिन उन्हें ये भी लगता है कि अगर नरेंद्र सिंह तोमर जीतते हैं तो उनकी जो भी समस्याएं बची हैं उनका भी निराकरण होगा। मैं घूम—घूमकर समस्याओं से भी रूबरू हो रहा हूं। लोगों से भी मिल रहा हूं कि चुनाव जीतने के बाद दिमनी की जनता के अनुरूप काम कर सकूं।
बेरोजगारी और पलायन क्षेत्र की बड़ी समस्या है। उद्योग धंधे भी खास नहीं हैं?
स्वाभाविक बात है कि हर जगह इंडस्ट्री नहीं आ सकती है। मुरैना में करीब 50 नए उद्योग लगे हैं, जो सरसों आधारित हैं। पहले सिर्फ बामोर इंडस्ट्रियल एरिया था, लेकिन अब सीतापुर, मुरैना और पिपरसेवा इंडस्ट्रियल एरिया बना है। दिमनी विधानसभा क्षेत्र का पूरा क्षेत्र ग्रामीण है। इससे लोगों की कोशिश रहती है कि लोग नदी के पास इंडस्ट्री में आए या हाइवे के पास इंडस्ट्री में आए इसमें लोग अपनी सुविधा भी देखते हैं। क्षेत्र में कृषि आधारित रोजगार बढें़ हैं यहां एक्सीलेंस सेंटर भी बनाए गए। खेती को और उन्नत कैसे बना सकें, इसे लेकर प्रयास कर रहे हैं। कोई बेहतर उद्योग क्षेत्र में आ सके इसका और प्रयास करेंगे।
क्षेत्र में चर्चा है कि जबसे आप केंद्रीय मंत्री बने लोगों के यहां आना जाना कम कर दिया?
स्वाभाविक रूप से जो दायित्व रहता है तो उसकी व्यस्तताएं भी रहती हैं। इसलिए सब जगह जाना नहीं हो पता, लेकिन अपने बस में जितना समय रहता है तो जनता के बीच गुजारू यह इच्छा और कोशिश रहती है।
दिमनी में जबरदस्त जातीय संघर्ष देखने को मिल रहा है, क्या मुकाबला त्रिकोणीय है?
सामान्य तौर पर एक जाति के कारण कोई चुनाव नहीं जीतना है। मैं जाति के हिसाब से वोट नहीं मांगता। भाजपा प्रत्याशी हूं और पार्टी सबका साथ सबका विकास पर भरोसा रखती है। केंद्र हो या राज्य सरकार दोनों ने सबका साथ और जनकल्याण के आधार पर काम किया है। मुझे लगता है, सबका साथ भाजपा को मिलेगा।