जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा, ‘मुझे इस याचिका में कोई दम नजर नहीं आ रहा।’ यही नहीं दिल्ली हाईकोर्ट इस याचिका को लेकर चिराग पर जुर्माना भी लगाना चाहती थी, लेकिन उनके वकील के अनुरोध करने के बाद उसने ऐसा नहीं किया।
चिराग की ओर से दायर याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें चिराग के चाचा पारस का नाम लोकसभा में लोजपा के नेता के तौर पर दर्शाया गया था।
दरअसल हाल में हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल फेरबदल के दौरान चिराग के चाचा पशुपति पारस ने कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। पशुपति कुमार पारस ने गुरुवार को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का कार्यभार भी संभाल लिया। बिहार के हाजीपुर से सांसद पशुपति कुमार पारस को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में बतौर कैबिनेट मंत्री शामिल किया गया।
बता दें कि पशुपति पारस इससे पहले LJP की बिहार इकाई के प्रमुख थे। लेकिन भतीजे से तनाव के बाद अब वह इसके अलग हुए गुट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।
भतीजे से तनाव के बीच पारस ने कहा कि वह अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान के ‘वास्तविक राजनीतिक उत्तराधिकारी’ हैं न कि चिराग पासवान, जो अपने पिता की संपत्ति के वारिस हो सकते हैं।
बता दें कि इससे पहले चिराग पासवान ने चाचा पारस के कैबिनेट मंत्री बनने पर नीतीश को भी आड़े हाथों लिया। चिराग ने कहा कि, ‘बिहार के सीएम नीतीश कुमार उनके बागी चाचा पशुपति कुमार पारस के लिए केंद्रीय कैबिनेट में एक सीट छोड़ने के लिए सहमत हो गए जिसका उनका एकमात्र उद्देश्य मुझे नीचा दिखाना था।’