राष्ट्रीय राजधानी में यह जगह वास्तव में केजरीवाल के दिल के करीब है क्योंकि इसी जगह से 2011 में केजरीवाल अन्ना हजारे ( Anna Hazare ) के इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन ( India Against Corruption Movement ) में शामिल हुए थे।
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बाद में यह आंदोलन 2012 में केजरीवाल की राजनीति का प्रवेश द्वार बन गया। दिल्ली में 2013 में चुनाव हुए और केजरीवाल कांग्रेस की मदद से दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।
उन्होंने 28 दिसंबर, 2013 को रामलीला मैदान में पहली बार शपथ ली।
हालांकि, 49 दिनों के बाद केजरीवाल ने 14 फरवरी, 2014 को इस्तीफा दे दिया, 2015 में शहर में फिर से चुनाव हुए और उसी स्थान से एक साल बाद 14 फरवरी, 2015 को उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में दूसरी बार शपथ ली।
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कार्यकाल पूरा करने के बाद, केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में फिर से चुने गए हैं और उसी स्थान से शपथ लेंगे।
केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के अलावा, यह जगह प्रमुख हस्तियों की उपस्थिति और ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह रहा है।
जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मैदान रामलीला नाटकों के मंचन के लिए प्रसिद्ध रहा, जिसमें भगवान राम के जीवन लीला का मंचन किया जाता रहा।
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हालांकि, यह अतीत में कई ऐतिहासिक भाषणों की मेजबानी भी कर चुका है, जिसमें इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय भी शामिल हैं, जिन्होंने 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ यहां से संबोधित किया था।
पाश्र्व गायिका लता मंगेशकर ने भारत-चीन युद्ध के बाद यहां प्रस्तुति दी थी। लाल बहादुर शास्त्री ने इस स्थल से ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया।
आपातकाल के दौरान, मैदान में कई विरोध प्रदर्शन हुए।
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रामलीला मैदान को शपथ समारोह के लिए चुने जाने पर एक आप नेता ने कहा, “शहर का आम आदमी हमारी रीढ़ है। वे हमारी ताकत हैं।
हमारे लिए शहर के लोगों को अपने महत्वपूर्ण क्षणों में शामिल करना महत्वपूर्ण है।
इसलिए, हमें शपथ ग्रहण के लिए बड़ी जगह की जरूरत है और इसलिए रामलीला मैदान सबसे अच्छा है।”