मीडिया रिपोर्ट की मानें तो कांग्रेस राज्यों के दफ्तर में पिछले पांच महीने से खर्च के लिए फंड तक नहीं भेजा जा रहा है। कांग्रेस ने अपने सदस्यों से सहयोग राशि बढ़ाने को कहा है। इसके साथ ही सबसे कहा गया है कि खर्चों में जितना संभव हो उतनी कटौती की जाए। हालांकि इस संबंध में पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। खबर ये भी है कि हाल के चुनावों में कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों से फंड का इंतजाम करने के लिए क्राउड फंडिंग का सहारा लेने को कहा था।
कर्नाटक में शपथ के बहाने होगा
शक्ति प्रदर्शन, एक मंच पर जुटेगा विपक्षी कुनबा इसलिए हुई फंडिंग की समस्याराहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस को मिलने वाला फंड पूरी तरह खत्म हो गया है। कांग्रेस को कारोबारियों और उद्योगपतियों से मिलने वाले फंड से भारी गिरावट आई है, जिसकी वजह से पार्टी खजाने में नकद की भारी किल्लत पैदा हो गई है। दरअसल अबतक हर राजनीतिक पार्टी की तरह बड़ी कंपनियां और उनके मालिक अपनी ओर से कांग्रेस को चंदा देते थे, लेकिन आज केंद्र और देश के 20 राज्यों में बीजेपी और एनडीए की सरकार है। ऐसे में कांग्रेस के गिरते रसूख की वजह से इन कंपनियों ने चंदा देना बंद कर दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया प्रमुख दिव्या स्पंदना ने कहा है कि बीजेपी की तुलना में हमारे पास पैसा नहीं है। उनकी पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड से जरिए भी ज्यादा धन मिल रहा है। बता दें कि राजनीतिक पार्टियों के चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड शुरू किया है।
देश के राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के मुताबिक बीते एक साल में बीजेपी की कमाई लगभग 81 फीसदी बढ़ गई है, वहीं कांग्रेस की कमाई में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। बीजेपी शासित राज्यों की लगातार बढ़ती संख्या की वजह से बीजेपी की कमाई भी तेजी से बढ़ रही है, जिसका सीधा नुकसान देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी को हुआ है।