डॉक्टर्स की मानें तो प्लास्टिक के कप में गरम चाय का लगातार सेवन करने से किडनी और लिवर के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है। इसका विकल्प मिट्टी के कुल्हड़ और पेपर मग हो सकते हैं लेकिन ये अपेक्षाकृत महंगे होने के कारण दुकानदार इसका इस्तेमाल करने से बचते हैं और हमें इस खतरे की ओर धकेल देते हैं।
इस तरह है नुकसानदायक
शहर में चाय की छोटी-बड़ी 500 से अधिक दुकानें हैं। ज्यादातर दुकानों में प्लास्टिक के कप में ही चाय दी जाती है। ग्राहकों की जागरुकता की वजह से कुछ लोग कागज के कप रखने लगे हैं। डॉ. प्रदीप चौहान ने बताया कि चाय पीने पर मेट्रो सेमिन, बिस्फिनोल-ए और बर्ड इथाइल डेक्सिन नामक केमिकल हमारे शरीर में पहुंचते हैं। जो शरीर के लिए नुकसान दायक हैं। बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह खतरा अधिक बढ़ जाता है। मनुष्य के समझने की शक्ति भी कम हो जाती है।
कैंसर का खतरा, पर्यावरण को नुकसान
मेट्रो सेमिन के कारण कैंसर की आशंका काफी बढ़ जाती है। जबकि अन्य केमिकल के कारण हार्मोनल इनबैलेंस, अल्सर और किडनी तथा लीवर से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। प्लास्टिक मटेरियल में जब गर्म पदार्थ डाला जाता है तो मेट्रो सेमिन सहित कई प्रकार के केमिकल गर्म पदार्थ में घुल जाते हैं। इससे कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। इसमें जो अंदर मोम का लेप किया जाता है, वह गर्म चाय डालते ही घुलकर शरीर में पहुंच जाता है।
इससे लिवर और किडनी डैमेज होने की आशंका रहती है। प्लास्टिक के कप नष्ट नहीं होते हैं। इन्हें जब नालों या नालियों में फेंक दिया जाता है तो बारिश में इन्हें चोक करते हैं और जलभराव का कारण बनते हैं।
ऐसी हो आपकी चाय
एक्सपर्ट की मानें तो 100 एमएल चाय बनाने के लिए पानी और दूध की मात्रा बराबर होनी चाहिए, जिसमें 2.5 ग्राम चाय का इस्तेमाल करें। अधिक कड़क चाय पीने वाले 3 ग्राम चाय का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे अधिक चाय डालने, मंदी आंच में चाय को उबालने पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है।